रविवार, 1 मार्च 2009
वसंत की छुट्टियाँ
मैं बहुत देर से वसंत की छुट्टियों का इंतिज़ार कर रही थी | अपनी मौसी एवं भाई से मिले मुझे आठ महीने से ज्यादा हो गए थे | इस लिए मैं ने वसंत की छुट्टियों में कैलिफोर्निया की टिकेट बुक करा ली | मेरी मौसी कैलिफोर्निया में स्थित सैन होसे नमक शेहेर में रहती हैं | उनसे मिलने का मन शायद और भी ज्यादा इस लिए था क्योंकि मैं अपने घर से इतनी दूर हूँ की परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने से घर से दूर होने का गम थोडा कम हो जाता है | मैं कैलिफोर्निया जाने के लिए इस लिए भी उत्सुक थी क्योंकि मुझे मिशिगन की ठण्ड से बचने का मौका मिल रहा था तथा कैलिफोर्निया एक ऐसी जगह है जिसपर सूर्य अपनी किरणे उदार भावः से फैलता है | सैन होसे पहुँचकर एवं मौसी और इशान से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा | सैन होसे को सिलिकन वैली के नाम से भी जाना जाता है | वहां कम्प्यूटर से जुड़े दुनिया के सबसे बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं | उंच ऊंची इमारते, चारों ओर हरियाली, मंद बहती हुई समीर एवं नीला आकाश- सब कुछ जैसे बिलकुल एक सुन्दर छवि जैसा लगने लगा था | हवैअद्दे से घर जाते वक्त मैंने अपने भाई से काफी साडी बातें की | इशान अभी आठवी कख में पड़ता है और जीवविज्ञान में रूचि रखता है | केवल चौदह वर्ष होने के कारण वह काफी चंचल है परन्तु उसके उम्र के हिसाब से काफी प्रौढ़ है | ऐसा लगता है मनो वह कभी नहीं थकता | मेरी मौसी ने मेरे लिए कई तरह के पकवान बनाये थे और मुझे घर जैसे खाना खाकर बहुत अच्छा लगा | उनके साथ बिताये हुए यह सात दिन बहुत ही सुन्दर थे एवं मैं इसे कभी नहीं भूलूंगी |
गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009
करीब पांच साल पहले मैं अपने चाचा के परिवार के साथ बोस्टन गया था. हम बोस्टन के एक उपनगर में मेरे चाचा के दोस्त के घर पर रह रहे थे. हमने बोस्टन में एक पूरा हफ्ता काटा. चाचा के दोस्तों ने हमें बोस्टन का काफी सेर करवाया. बोस्टन में बहुत सारे महाविध्यालय हैं जैसे हारवर्ड उनिवेर्सित्य, मस्सचुसेत्तेस इन्स्तितुते ऑफ़ टेक्नोलॉजी, आदि.
चाचा की दुकान
दसवी की परीक्षा ख़तम होने के बाद मेरी चार महीने की छुट्टियां थी. मेरे माता पिता ने मुझे छुट्टी पर अमेरिका भेज दिया. यहाँ में अपने चाचा के परिवार के साथ दो महीनों के लिए रहा. मेरे चाचा के परिवार में उनकी पत्नी थी और उनके दो बेटे है. उन दो महीनों के दौरान मैं अमेरिका बहुत घूमा. मेरे चाचा इल्लिनोईस मैं वेर्नों हिल्स नमक एक शहर में रहते थे. मेरे चाचा चिकागो में एक ग.न.क की दूकान चलाते थे. जब मेरे चचेरे भाई स्कूल जाते थे में अपने चाचा के साथ उनकी दुकान जाकर उनकी मदत करता था. जब भी में दुकान पर था मैं चिकागो शहर की सेर करने निकलता था, चाचा की दुकान मिचिगन अवेनुए पर थी. चिकागो के इसी मिचिगन अवेनुए का हिस्सा 'मग्निफिसेंट मिले' बुलाया जाता था. इस हिस्से में बहुत बड़ी-बड़ी दुकानें हैं. इन दुकानों का सेर कर के मुझे बहुत मजा आता था. हर तरफ ऊँची इमारतों थी और मौसम भी बहुत सुहाना था. एसे माहौल में रह कर मुझे बहुत ख़ुशी होती थी.
गणेश चतुर्थी
हर साल अगस्त के महीने में भारत गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाता है. त्यूहर के दोरान मेरे घर पे गणेश की मूर्ति आती है. यह मूर्ति मिट्टी की बनी होती है. दो दिनों के लिए यह मूर्ति मेरे घर पर होती है. मेरा पूरा परिवार मिल कर मूर्ति की पूजा दिन में तीन बार करता हैं. मेरी बहुत सी यादें इस त्यौहार से जुडी है. जब भी गणेश भगवन घर आते है घर में हलचल सी मची होती है. मेहमानों का आना जाना रहता है. हर महमान मूर्ति के दर्शन कर के प्रसाद खता है. महमानों के लिए स्वादिष्ट खाना परोसा होता है.माहाराष्ट्र में खास कर गणेश भगवन के बहुत भक्त है. गणेश चतुर्थी के दोरान मोधक नाम की मिठाई बाटी जाती है. यह मिठाई सिर्फ त्यौहार दोरान मिलती है और मुझे बहुत पसंद है. मुझे यह त्यौहार पसंद आता है क्यों की घर में ख़ुशी का महूल होता है, पूरा परिवार साथ में होता है और स्वादिष्ट खाना और मिठाई खाने का मोका मिलता है. पिछले तीन सालों से मैंने यह त्यौहार एक बार भी नहीं मनाया है और मुझे वह त्यौहार मनानें का बहुत मन है.
शनिवार, 21 फ़रवरी 2009
जातिवाद
दुबई में साठ प्रतिशत के लोग भारतीय हैं. दस प्रतिशत के लोग यूरोप के आनेवाले हैं और सिर्फ़ बीस प्रतिशत के लोग अरबी हैं. एस कारण दुबई में बहुत जातिवाद होती है. मुझे ये कहने में दुःख होता है की अरबी लोग गोरे लोगों का सात लेते हैं और भारतीयों से जातिवाद करते हैं. अठारह साल के लिए मैं दुबई में रहा. अरबी लोग सोलह साल की उम्र में ही गाड़ी चला सकते हैं परन्तु विदेशी लोगों को अठारह साल की उम्र के बाद ही लाइसेंस लाने का मौका मिलता है. दुबई को स्वतंत्रता मिलने के पहले ही भारतीय लोग दुबई में थे. स्वतंत्रता के पहले दुबई की मुद्रा रुपया थी. दुबई की सफलता में दुबई के भारतीयों को ज़रूर श्रेय देना चाहिए परन्तु हमें ये श्रेय नहीं मिलती है. आज की नए ज़माने में दुबई में जातिवाद कम होती जा रही और दुबई में उन्नति ज़रूर हो रही है परन्तु फ़िर भी कभी कभी स्थिति बुरी होती है.
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009
होली
मेरा सबसे प्रिय त्यौहार होली है l होली एक रंगों का त्यौहार है जिसे सारे रिश्तेदार और दोस्त मिल कर मनाते है l मेरे घर में जब होली मनाई जाती है तोह सबसे पहले परिवार के सारे लोग सुबह में पूजा करते है और उसके बाद एक दुसरे के माथे पर होली के रंग का टिक्का लगाते है और एक दुसरे को बधाई देते है l उसके बाद मैं अपने दोस्तों के साथ होली मनाने जाता हु l पहले होली सब सूखे रंगों से खेलते थे लेकिन अब होली के लिए ऐसे रंग आते है जोह एक बार लग जाए तोह एक हफ्ते तक मिटते नही है l ऐसे पक्के रंगों के साथ हम मनाते है होली l सारे दोस्त फ़िर अपनी गाड़ियों में निकल कर दूसरे दोस्तों के घर जाते है और रस्ते में होली मन्नते हुए जाते है l होली में रंगों के इलावा अण्डों का भी उपयोग होता है l अंत में सब होली खेल कर एकदम गंदे होकर घर जाते है और फ़िर रात तो सब मिलकर भोजन करते है l कुछ लोगों को लगता है की होली ख़राब होगई है क्योंकि लोग पक्के रंग, अंडे और बहुत ऐसी चीज़ों का प्रयोग करते है लेकिन होली मेरे लिए सबसे मनपसंद त्यौहार है l
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
यहाँ के पुस्तकालय
कल रात की ही बात है जब मैं मिशिगन विश्वविद्यालय के उन्देर्ग्रदुएत पुस्तकालय गई थी | वैसे तो मैं कई बार पुस्तकालय जा चुकी हूँ परन्तु मिशिगन में यह मेरी पहली बार थी | भारत में पले बड़े होने के कारण मुझे हमेशा ऐसी तस्वीर दिखाई गई थी जहाँ पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहाँ कोई बात नही करता एवं चुप चाप अपना काम करता है और किताबें पड़ता है | शायद मुझे पुस्तकालय का यह बिल्कुल अलग झलक कभी न मिलता अगर मैं कल रात इधर के पुस्तकालय गई न होती | इस पुस्तकालय के तीन मंजिल थे एवं अन्दर एक भोजन करने का स्थान भी था| आज तक मैंने कभी ऐसा पुस्तकालय नही देखा था जहां अन्दर कैफे होता है अवं जहाँ लोग ज़ोर ज़ोर से बातें करते हैं| मैं भवन के पहेली मंजिल पर थी और चुप चाप अपना काम करने की कोशिश कर रही थी परन्तु ऐसा करना नमुमकिन था क्यूंकि मेरे चारों ओर लोग केवल बातें कर रहे थे | कोई अपनी पिछली रात के बारे में बता रहा था तो कोई कल की परीक्षा के बारे में बात कर रहा था| एक चीज़ तो मुझे माननी पड़ेगी, की यहाँ आकर अगर हम लोगों की बातें सुनते हैं तो हमारा मनोरंजन ज़रूर हो सकता है | मुझे एक चीज़ समझ में नही आई | यहाँ लोग अपने कमरे में इस लिए नही पड़ते क्यूंकि उन्हें लगता है की ऐसा करने से वे ठीक तरह से मन लगाकर नही पड़ पाएंगे लेकिन पुस्तकालय आने का मतलब अगर तीन घंटे में एक घंटा पड़ने का है तो मुझे यहाँ आने का कोई फायदा नही दिखाई देता | यह कहना सच ही होगा की यहाँ के पुस्तकालय का वातावरण भारत के पुस्तकालयों के वातावरण से बिल्कुल अलग है |
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