मंगलवार, 9 अक्तूबर 2007

आज की नारी

नारी वैसे तो सदैव से ही हर काम मे पुरुष का हाथ बटाती आई है।महारानी केकयी राजा दशरथ के साथ युद्ध मे गयी थीं। अज्ञातवास में पाण्ड्वों के साथ द्रौपदी को भी विराट के यहाँ नौकरी करनी पड़ी थी। कृषकों की स्त्रियाँ सदैव से ही कृषि कार्यों मे पूर्ण रूप से सहयोग देती आयी हैं। श्रमकों के साथ उनकी महिलायें भीकाम करती आयी हैं।

फिर भी नगरों मे एक ऐसा वर्ग पनपता गया जिसकी स्त्रियाँ केवल घरेलू काम ही करती चली आयी हैं। घर के बाहर किसी भी क्षेत्र मे काम धन्धे के लिये उनका जाना बुरा माना जाता था।मुस्लिम काल मे भारत मे पर्दा प्रथा का बहुत ज़ोर रहा था। इससे नारी का कार्य क्षेत्र घर तक ही सीमित रह गया। अंग्रेज़ी शिक्षा व समाजसुधारकों के परिश्रम से पर्दा प्रथा का अन्त हुआ। अतः आज की नारी के लिये यह स्वभाविक हो गया कि वह घर से बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्रों मे भी काम करे।

आज शासन व उद्योगों में महिलायें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हमारे राष्ट्र की प्रधानमत्री एक महिला थीं,हमारे राष्ट्र की राष्ट्रपति एक महिला हैं , डाक्टर,पाइलेट,आदि सभी क्षेत्रों में नारी सर्वश्रेष्ठ है। आर्थिक चुनौती हो या फिर पारिवारिक समस्या आज की नारी सभी परिस्थितियों का सामना करने से न तो घबराती है और न ही झिझकती है।प्राचीन काल से आज तक नारी ने हर रूप मे , हर परिस्थिती में अपने आप को ढाला है। परन्तु आज की नारी परिस्थितियों को अपने स्वरूप ढालना सीख गयी है।

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