बुधवार, 10 दिसंबर 2008
दक्षिण भारत यात्रा
दूसरे दिन हम लोग बैंगलोर पहुँच गए वहाँ पर हम लोग वृन्दावन गार्डेन भी गए जोकि वहाँ का प्रसिद्ध गार्डेन है। वहाँ पर खूब इन्ज्वाय किया फिर हमलोग शांिपंग काम्पलैक्स भी गए। दूसरे दिन मैसूर के लिए रवाना हुए। और वहाँ का राज महल एवं कई स्थल देखे। वहाँ के सभी स्थल देखने योग्य हैं। उसके बाद हम लोग गोवा चले गए। जहाँ पर समुद्र का खूब आनन्द उठाया। वहाँ से हमलोग मुंबई लौटे रास्ते में टेªन टर्मिनलांे से होकर गुजर रही थी वहाँ का नजारा देखने योग्य था।
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
बीजी और पापा
मुंबई
जाड़ा
सोमवार, 8 दिसंबर 2008
हिन्दी कक्षा पर विचार
फिर सितंबर मे मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लिया। सच कहूँ तो मैने सोचा ही नही था कि चार महीनों मे मेरी हिन्दी मे ज़्यादा सुधार आएगा। परन्तु, आज मुझे साफ़ दिख रहा है कि हिन्दी लघु कथाएं पढ़ने से और ब्लाग लिखने से मेरी हिन्दी मे काफ़ी सुधार आया है। शुरू-शुरू मे मुझे ब्लाग लिखने मे काफी समय लग जाता था, परन्तु अब, मै कम समय मे 200 शब्द का ब्लाग लिख लेता हूँ।
मै इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूँ और लगातार इंजीनियरिंग पढ़ने से मन सूख जाता है। हिन्दी पढ़ने से मुझे हफते मे कुछ घंटों के लिए इंजीनियरिंग से छुटकारा मिल जाता है। देखा जाए तो मै बहुत ही खुश हूँ कि मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लेने का फैसला किया।
शेयर बाजार
परन्तु शेयर बाजार सच पर आधारित नहीं होता है बल्कि अफवाहों के ऊपर चलता रहता है। नेताओं की बयानबाजी के ऊपर भी चलता है नेताओं की बयानबाजी का विश्शण किया जाता है और उसी से बाजार ऊपर नीचे होता रहता है बहुत सी कम्पनीयां घाटे में होने के बावजूद शेयर उसका ऊपर रहता है जबकि किसी कम्पनी का अच्छा रिजल्ट आने पर भी उसका शेयर नहीं बढ़ता है कई कम्पनियां बाजार से रूपये उगाहने के लिये कुछ साल तक अच्छा प्राॅफिट दिखाती रहती है परन्तु रूपये उगाहने के बाद घाटा दिखाने लगती है, इसमें सरकार के अफसरों का भी सहयोग मिलता रहता है।
यह बजार जोखिम से भरा हुआ है तथा कुछ स्वार्थी तत्वों के कारण अपनी गरिमा खोने लगता है तथा कुछ कम्पनियां भी इस कार्य में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो सकती हैं।
दार्जलिंग एवं सिक्किम यात्रा
सिक्किम में तीन दिन रहे दूसरे दिन हम लोग चाइना बार्डर, एक सेनानी का मन्दिर जोकि देखने लायक था कहा जाता है कि यह सैनिक अपनी हर माह तन्खवाह लेने आता है जबकि उसे मरे हुए कई साल बीत चुके है उसके कपड़े जूते सभी कमरे में लगे हुए थे जो कि फ्रेश लग रहे थे यह सब देखने के बाद हम लोग वापस गैंगटोक के लिये रवाना हो गयेे रास्ते में एक जगह सड़क धस गयी थी जिसमें हम लोग एवं अन्य लोगों ने भी पत्थर उठा-उठाकर सड़क बनाने की कोशिश की इतने में सरकारी गाड़ी सड़क बनाने के लिये पहुंच गयी और हम लोग बहुत किनारे-किनारे से गाड़ी को निकालते हुये गैगटोक पहुंच गये दूसरे दिन गैगटोक घूमे और बाद में सिलीगुड़ी के लिये वापस रवाना हो गये।
भारत की मुद्रा का मूल्य
यह भारत के नेताओं का एवं अफसरों का मानना है कि मुद्रा का वेल्यू घटने पर निर्यात ज्यादा होगा हालाकि यह कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने जैसा है इसके बाद भारत सरकार आयात करती है उसमें ज्यादा रूपया देना पड़ता है जैसे कि कच्चा तेल, सोना, चाँदी इसमें सबसे ज्यादा रूपया भारत सरकार को देना पड़ता है जिसके कारण महंगाई ज्यादा बढ़ती है तथा सरकारी कोष पर भारी दबाव बनता रहता है फलस्वरूप भारतीयों कों निर्यात ज्यादा करना पड़ता है तथा खाने के सामान आदि अधिक निर्यात करने पड़ते है। जिसके कारण गरीब और गरीब बनता है तथा धनवान अधिक धनवान बनते जाते हैं। गलत नीतियों के कारण देश को नुकसान पहुंचता है उसे बाद में ग्लोबल का ढ़ांचा पहना दिया जाता है।
रविवार, 7 दिसंबर 2008
ताजमहल
मुमताज महल के कारण ही इसका नाम ताजमहल प्रसिद्ध हुआ। यह अपूर्व सुन्दर स्मृति भवन आगरा मे यमुना नदी के तट पर स्थित है। इसमें प्रवेश करने के लिए एक विशाल पत्थर से बने दरवाजे से होकर जाना पड़ता हे जिस पर पत्थर से कुरान शरीफ लिखी है। ताजमहल जितना भव्य दिखता है उससे कही ज्यादा खुबसूरत होती है यहा शरद पूर्णिमा की रात, दूर आसमान मे जब चादनी विखेरता चाॅद जब ताजमहल के ऊपर से गुजरता है तो लाल और हरें रंग के ये पत्थरों की आभा चांदनी रात में हीरें सी हो उठती है।
शनिवार, 6 दिसंबर 2008
जब मै ग्यारहवीं कक्षा मे था, मेरे बड़े भाई ने शादी कर ली और वे अमरीका मे बस गए। मेरी भाभी मेरे भाई के साथ ही पाठशाला गई। पाठशाला पूरा करने के बाद, दोनों ने कालेज मे कम्प्यूटर विज्ञान पढ़ा। वे सेन-फ्रेनसिसको मे रहते हैं, और जब भी मुझे कालेज से फुरसत मिलती है, मै उन्हें मिलने जाता हूँ। मेरी भाभी बहुत ही अच्छी गायक है, और पिछले साल उन्होंने अपनी पहली एलबम (एलबम का नाम है ‘देविका’) रिलीज़ की। यदि आपको मौका मिले तो ज़रूर उनके गानों को सुनें; वे ‘आई ट्यून्स’ और ‘यू ट्यूब’ पर उपलब्ध हैं।
मेरी बहन ने अप्रैल मे शादी करने का फैसला कर लिया। मुझे यह खबर सुनकर बहुत खुशी हुई, परन्तु थोड़ा सा दुख भी हुआ क्योंकि अब घर का माहौल बदलने वाला है। मेरी बहन के बिना, घर बहुत ही सूना हो जाएगा। या तो मै, या मेरे बड़े भाई दिल्ली वापस लौट जाएँगे ताकि मेरी माँ को अकेलापन महसूस न हो।
मनोरंजन
हर एक व्यक्ति की रूचि अलग-अलग होती है। वह अपनी रूचि के अनुसार ही मनोरंजन करता है। मनुष्य जब काम करते-करते थक जाता है तो उसे अपने कामों से अरूचि होने लगती है। इस अरूचि को विश्राम या फिर मनोंरजन से दूर किया जा सकता है। मनोरंजन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। मन का रंजन अर्थात मन का आनन्द। मनोरंजन को मनोविनोद भी कहा जाता है।
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008
थैंक्सगिविंग की छुट्टी
मैने थैंक्सगिविंग की छुट्टियों के समय पहली बार गाड़ी किराये पर ली। गाड़ी होना इतना आरामदायक हो सकता है; मैने कभी सोचा भी नही था। न तो बस पर निर्भर करना पड़ता है और न ही एक जगह से दूसरी जगह जाने मे पूरा दिन निकल जाता है।
चूंकि थैंक्सगिविंग के दिन भोजनालय बंद होते हैं, हमे घर पर खान पकाना पड़ा। दोस्तों के साथ खान पकाने मे बहुत मज़ा आता है। हमने पाँव भाजी और चाकलेट केक बनाया। दोनो बहुत ही स्वादिष्ट निकले।
शनीवार को मै मृणालिनी को लेनसिंग मे वह घर दिखाने ले गया जहाँ मेरा जन्म हुआ था। उस घर मे मेरे दादाजी का बहुत ही जिगरी दोस्त रहता है। मै उन्हें अपना संरक्षक मानता हूँ। वे हमेशा मुझे मेरे दादाजी के बारे मे बहुत से मनोरंजक किस्से सुनाते हैं। मै उन्हें प्रतिवर्ष थैंक्सगिविंग के समय मिलता हूँ, और वे मुझसे मिलकर बहुत ही खुश हो जाते हैं।
मैने देखा है कि अमरीका मे बुज़ुर्ग लोग बहुत ही अकेलापन महसूस करते हैं। उनके बच्चे उन्हें ज़्यादा महत्त्व नही देते। मुझे यह बिलकुल अच्छा नही लगता, और इसलिए, जब भी मुझे मौका मिलता है, मै अपने संरक्षक को मिलने लेनसिंग चला जाता हूँ।
नाना-नानी से लगाव
हर सुबह छः बजे मेरे नाना सैर करने जाते थे। मै उनके साथ-साथ साइकिल पर जाता था। हम ‘डीयर पार्क’ मे एक घंटे तक सैर करते थे। सैर के बाद हम घर आकर नानी के साथ स्वादिष्ट परांठे या चीले खाते थे। नाश्ते के बाद मेरे नाना हमेशा किसी काम मे लगे रहते थे और मै उनकी मदद करता था। उनही के साथ मैने आरी चलानी सीखी और गाड़ी की मरम्मत करनी भी सीखी। कभी कभी हम सब क्लब के पुस्तकालय मे भी जाते थे।
मेरे नाना भारतीय नौसेना के ‘वाईस एडमिरल’ थे। वे 1971 की जंग मे लड़े थे और उनके उत्तम नेतृत्व के लिए उन्हें महा वीर चक्र मिला। उनके घर मे जगह जगह पुरस्कारों को देखकर मै बहुत खुश हो जाता था।
दोपहर को जब मेरे नाना और नानी सोते थे, मै दूरदर्शन देखता था। हमारे घर मे मेरी माँ ने केबल नही लगाया था, और नाना-नानी के यहाँ केबल देखने मे मुझे बहुत मज़ा आता था।
मै अपने नाना को पिता के समान मानता था। माँ के लौटने के बाद भी मै हर हफते एक रात अपने नाना-नानी के घर मे बिताता था। वे दोनो बहुत ही अनुशासित तरीके से रहते थे। मै अपने जीवन मे उनका अनुशासन शामिल करने का बहुत प्रयत्न करता हूँ।
मुम्बई पर हमला: भाग 2
27 नवंबर को दोपहर तक 200 बंधकों को ताज होटल से रिहा कर लिया गया था और ओबराय और ट्राईडेंट होटल मे बम विस्फोट हो चुके थे। एक आतंकवादी ज़िन्दा पकड़ा गया था। रात के दस बजे ताज होटल मे दोबारा बम विस्फोट हुआ। 28 नवम्बर को नारिमन हाऊस मे तीन विस्फोट हुए जिनके कारण सभी बंधक मारे गए (केवल एक छोटा बच्चा बच गया)। 29 नवम्बर को आतंकवादियों के साथ घमासान मुठभेड़ के बाद फौजी विजयी हुए।
इस घटना के बाद पूरे भारत मे भय फैल गया है। जनता सरकार से बहुत दुखी है। चूंकि पकड़े हुए आतंकवादी ने पाकिस्तान से होने का दावा किया है, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत ही बढ़ गया है। वाकई भारत मे स्थिति अभी बहुत ही नाज़ुक है।
मुम्बई पर हमला: भाग 1
मुम्बई पुलिस का मानना है कि 26 नवम्बर को रात के दस बजे तकरीबन 25 आतंकवादियों ने अरब महासागर से मुम्बई मे प्रवेश किया। मुम्बई मे पाँव रखते ही उन्होंने पुलिस की गाड़ी चोरी कर ली। गाड़ी मे सवार होकर उन्होने मुम्बई पुलिस पर गोलियॉ चलाई, जिसके कारण दो वरिष्ठ अफसर और ए.टी.एस के चीफ़ मारे गए। आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी स्टेशन मे भी आम लोगों पर गोलियाँ चलाई।
जिसके पहले पुलिस इन आतंकवादियों का मकसद पता चला सकी, उन्होंने ताज, ओबराय और ट्राईडेंट होटल और नारिमन हाऊस पर कब्ज़ा कर लिया और बहुत से लोगों को बंधक ले लिया। कुछ ही समय बाद ताज होटल की सबसे ऊँची मंज़िल पर बम विस्फोट हुआ। 27 नवम्बर की सुबह के दो बजे, भारतीय थल सेना मुम्बई पहुँची ताकि आतंक्वादियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।
सोमवार, 1 दिसंबर 2008
मुम्बई धमाका
आतंकवाद को तो वैसे परिभाषित करना सरल नहीं है। क्योंकि कोई पराजित देष स्वतन्त्रता के लिए शस्त्र उठाता है तो वह विजेता के लिए आतंकवाद होता है। वर्तमान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में विश्व भर का जाने अनजाने में सहयोग हो रहा है।
मुम्बई बम धमाका 59 घण्टे तक मात्र 10 आतंकियों के द्वारा किया गया बहुत ही बड़ी आतंकी हमला था अगर इस आतंकवाद का निराकरण बहुत सख्ती से नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के सारे शहर एवं सम्पूर्ण विश्व इस आग की लपेट में घिर जायेगा।
धन बुरा नहीं है परन्तु धन का उपयोग किस प्रकार किया जाय उस पर निर्भर करता है जैसे एक साधु के पास धन आयेगा तो वह आत्म कलयाण के लिए होता है व्यापारी के पास धन आता है तो व्यापार बढ़ाने के लिए अधिक होता है। नेता के पास अधिक धन आने पर स्वयं के लिए उपयोग होता है और आतंकियों के पास धन आता है तो उसका उपयोग सर्वथा दुरूपयोग के लिए होता है हिंसा के लिए होता है मानव जाति को डराने एंव मारने के उपयोग में होता है।
बेरोजगारी की बढ़ती समस्या
देश में लूटपाट, चोरी, डकैती, हत्या, फिरौती के लिए अपहरण जैसे अपराधों में बढ़ोत्तरी बेरोजगारी के कारण ही हो रही है।
वर्तमान में अर्थव्यवस्था की मार सबसे अधिक विकासशाील देशों को भुगतनी पड़ रही है और आगे बहुत अधिक भुगतना पड़ेगा क्योंकि विकासशाील देशों में पैसा सही कार्योे में पूरा खर्च नहीं हो पा रहा है अधिकतर पैसे का दूरूपयोग हो रहा है और रूपयो की उगाई में टैक्स पर टैक्स लगाया जाता है जिससे महंगाई बढ़ती चली जा रही है सबसे अधिक कठिन समय मध्यम वर्ग के लिये हो रहा है।
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर
भारतीय क्रिकेट की शमां रोशन करने वाले तेंदुलकर महज एक बेमिसाल क्रिकेटर ही नही बल्कि देश के क्रिकेट प्रेमियों के होठों की मुस्कान भी हैं। उनका बल्ला चलने पर देश पर देश में दीवली सी मनायी जाने लगती है।
संगीत मे लता मंगेशकर को अदाकारी में अमिताब बच्चन को और क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को जो मुकाम हासिल है मजे की बात यह है कि तीनों-लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर एक दूसरे के जबरदस्त फैन है।
मदर टेरेसा
अठ्ठारह वर्ष की आयु में नन बनने का निर्णय कर लिया अनाथ तथा विकलांग बच्चों के जीवन को प्रकाशवान करने के लिए अपनी युवावस्था से जीवन के अंिन्तम क्षणों तक उन्होने प्रयास किया सन् 1997 में उन्होने इस दुनिया से बिदाई ले ली।
पीड़ितो की तन-मन से सेवा करने वाली मदर टेरेसा आज हमारे बीच नही है लेकिन हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए अनाथ, असहाय, बीमारों की सेवा का संकल्प लेना चाहिए।
होली -रंग और उमंग का त्योहार
दूसरे दिन प्रातः आठ बजे से गली-गली में बच्चे बडे़ रंग एवं पानी से हुड़दंग शुरू कर देते है। सभी एक दूसरे पर रंग डालते है तथा बाद में गुलाल लगा कर गले मिलते हैं। तथा होली की बधाई देतें है। अच्छे पकवान तथा मिठाई स्वयं भी खाते है और दूसरे को खिलाते हैं तथा आपस में भी मिठाई का अदान प्रदान करते हैं
वृद्ध लोग भी इस त्यौहार पर जवान हो उठते हैं। कई लोग भांग का सेवन करते है। उनके मन में उंमग व उत्सव का रंग चढ़ जाता हैं वे आपस में बैठकर गप-शप व ठिठोली में मस्त हो जाते हैं तथा ठहाके लगा कर हॅसते है। अपराहन दो बजें तक फाग का खेल समाप्त हो जाता हैं लोग नहा धोकर शाम को मेला देखने चल पड़ते है। अन्तिम मुगल बादशाह अकबरशाह सानी और बहादुर शाह जफर खुले दरबार में होली खेलने के लिये प्रसिद्ध थें।
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
संगीत
देखें तो हमारी ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में संगीत का प्रभाव है| ज़रा सोचिये- अगर आपको कल "लगान" या फिर "कल हो न हो" बिना गानों के देखना पड़े, क्या आप इन फिल्मों से उतना ही मज़ा ले पाएंगे जितना संगीत के साथ लिया था| मैं आपके उत्तर का इंतज़ार ही नहीं करूंगा क्योंकि हम सभ को मालूम है कि यह नामुमकिन है| संगीत में वह शक्ति है जो बहुत कम चीज़ों मैं होती है| यह एक चीज़ है जिसे दुनिया का हर व्यक्ति निह्स्संकोच होकर सुनता है और सुनते ही भावुक हो जाता है| संगीत एक बन्दे के शरीर के हर अंग को नचा सकती है या फिर उसके दिल को हजारों टुकडों में तोड़ सकती है| प्रोत्साहन, हिम्मत, खुशी, नाराज़गी, उल्लास सभी भावनाएं, संगीत के कारण, तेज़ी से हमारे हर सोच को ग्रहण कर सकती हैं |
हमें उसका शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने हमें ऐसे सुहावने चीज़ का मज़ा लेने का मौका दिया है और अगली कुछ सदियों के लिए इसकी खूबसूरती को और गहरे रूप से समझने की कोशिश करनी चाहिए|
बर्फ
मगर दिल से पूछूँ तो शायद अलग सा जवाब मिलेगा| सफ़ेद, मुलायम, मन को बहलाने वाली बर्फ कभी देखी ही नहीं है मैंने| कहते हैं ज़िन्दगी में हर चीज़ का अनुभव एक बार तो लेना ही चाहिए और देखें तो असल में यह इतना भी बुरा नहीं है| मैं तो इस मौसम के लिए पूर्ण रूप से तैयार हूँ और अपनी मोटी चमड़ी की सहायता से दिसम्बर के अंत तक आराम से पहुँच जाऊंगा| दिन के कार्यों में शायद तब तकलीफ होगी, जब मैं बर्फ के कारन धरती को अपने पैरों से छू ही नहीं पाऊँगा या फिर जाकट पहने हुए भी बाहर नहीं जाना चाहूँगा| अभी के लिए मुझे मौसम का मज़ा ही लेना चाहिए क्योंकि बहुत से लोगों ने कहा है कि अगर इससे मुझे परेशानी हो रही है तो फरवरी में मैं आश्चर्यचकित रह जाऊँगा|
मंगलवार, 18 नवंबर 2008
मिशीगन फुटबोल
शनिवार, 15 नवंबर 2008
भारतीय शास्त्रीय संगीत
जब मेरे सारे मित्र पश्चिमी संगीत सीख रहें थे, मै तबला और हिन्दुस्तानी चिकारा सीख रहा था। पश्चिमी संगीत के विभाग मे सौ से अधिक छात्र थे, परन्तु हिन्दुस्तानी संगीत के विभाग मे केवल नौ या दस छात्र थे।
तबला मे मेरी बहुत रुची थी। मैने छः सालों के लिए तबला सीखा। तबला बजाने से जो लय और गत का अंदाज़ा मिलता है, वो किसी और संगीत वाद्य से नही मिलता। अपने अध्यापक के साथ तबले पर जुगलबंदी रचाते समय बहुत आनंद मिलता था।
मैने हिन्दुस्तानी चिकारा भी बजाना सीखा। चिकारे को सही तकनीक से बजाने के लिए बहुत रियाज़ और अनुशासन की ज़रुरह होती है, परन्तु जब ये वाद्य सुर मे बजता है, तो अधिक आनंद मिलता है।
आज भारतीय शास्त्रीय संगीत धीरे धीरे गायब हो रहा है। मै अपने जीवन मे इसे जीवित रखने का पूरा प्रयत्न करूँगा।
सर्दी का मौसम
एन आर्बर मे सर्दी के समय, शाम के पाँच बजे ही बाहर अंधेरा हो जाता है। दिन बहुत छोटे हो जाते हैं और राते बहुत लम्बी। दिन मे भी, घने बादलों के कारण सूरज दिखाई नही देता। तापक्रम अधिकतर 0 सेल्सियस से नीचे ही रहता है। दिन पर दिन, बर्फ पड़ती है। शुरू शुरू मे बर्फ बहुत ही सुंदर लगती है, परन्तु जैसे समय बीतता जाता है,बर्फ पर चलना ही मुश्किल हो जाता है। कभी कभी इतनी ठंडी हवा चलती है कि पैदल चलते समय आँखों को खुला रखना ही मुश्किल हो जाता है।
सर्दी के महीनों मे मै बहुत ही दुखी हो जाता हूँ। घर की बहुत याद आती है और घर लौटने को दिल तड़पता है। कभी कभी मै सोचता हूँ कि मुझे अपने भाई की चेतावनी पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए था।
शनिवार, 8 नवंबर 2008
दीपावली प्रकाश पर्व
इस पर्व की यह भी विशेषता है कि जिस सप्ताह मंे यह त्यौहार आता है उसमंे पाँच त्यौहार होते हैं। इसी वजह से सप्ताह भर लोगांे में उल्लास व उत्साह बना रहता है दीपावली से पहले धनतेरस पर्व आता हैे मान्यता है कि इस दिन कोई न कोई बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, इसके बाद आती है छोटी दीपावली, फिर आती है दीपावली। इसके अगले दिन गोर्वधन पूजा तथा अन्त मंे आता है भैया दूज का त्यौहार।
अन्य त्यौहार की तरह दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हैं। समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चैदह रत्नांे मंे से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थीं। इसके अलावा जैनमत के अनुसार तीर्थकर महावीर का महा निर्वाण भी इस दिन हुआ था। भारतीय संस्कृति के आदर्ष पुरूष श्रीराम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता, लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरांे को सजाया एवं रात्रि मंे दिये सजाये गए।
सामान्यतया इस पर्व के आने से माह भर पहले भी घरांे की अपनी साफ-सफाई रंग-रोगन करते हैं। व्यापारी अपनी दुकानंेे सजाते हैं। बच्चे अपनी इच्छानुसार आतिशबाजी करते हैं।
इस दिन रात्रि के समये लक्ष्मी-पूजन होता है। इस दिन नये कपड़े पहनकर सज-धजकर निकलते हैं। लोग अपने ईष्ट मित्रांे के यहाँ मिठाई का आदान-प्रदान करते हैं एवं दीपावली की शुभ कामनाएँ लेते-देते हैं।
कम्प्यूटर-आज की आवश्यकता
विज्ञान क्षेत्र मंे सूचना प्रौधोगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति मंे हमंे अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की है। इनमंे मोबाइल फोन, कम्प्यूटर तथा इन्टरनेट का विशिष्ट स्थान हैं। कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र कैल्क्युलेटर से जुड़ा है। इससे जहाँ कार्य करने में समय कम लगता है, वहीं मानवश्रम मंे भी काफी कमी आयी है।
वर्तमान मंे कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरांे को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है। भवनांे, मोटर-गाड़ियांे, हवाई जहाज आदि के डिजाइन तैयार करने मंे कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्भुत कमाल कर दिखाया है। इसके माध्यम से करोड़ांे मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिये जा रहे हैं। साथ ही इन चित्रांे का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा किया जा रहा है। कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश-विदेश को जोड़ने को ही इन्टरनेट कहा जाता है।
''विद्यार्थी एवं अनुशासन का महत्व''
अनुशासन से अभिप्राय नियम, सिद्धान्त तथा आदेशांे का पालन करना है। जीवन को आदर्श तरीके से जीने के लिए अनुशासन मंेे रहना आवश्यक है। अनुशासन का अर्थ है, खुद को वश में रखना। अनुशासन के बिना व्यक्ति पशु के समान है। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहलाता है। इसे विद्यालय के नियमों पर चलना होता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है। ऐसा करने पर वह बाद मंे योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है। विद्यार्थी जीवन मंे ही बच्चे मंे शारीरिक एवं मानसिक गुणांे का विकास होता है जिसे उसका भविष्य सुखमय बनाने के लिए अनुशासन मंे रहना जरूरी है। किसी काम को व्यवस्था के साथ-साथ अनुशासित होकर करते हैं तो उस कार्य को करने मंे कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा कार्य करते समय भय, शंका एवं गलती होने का डर नहीं होता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन मंे रहना जरूरी है। यदि हम अपने वातावरण को देखंे तो पता चलता है कि प्रकृति एवं प्राकृतिक वस्तुएँ भी अनुशासन मंे हैं।
मंगलवार, 4 नवंबर 2008
चुनाव का दिन
दिल्ली
दिल्ली – भारत की राजधानी और सब्से ऐतिहासिक शहर । दिल्ली राजधानी है इस वजह से तो काफी लोकप्रिय तो है ही , पर इसका इतिहास ही इसकी पहचान है । दिल्ली का इतिहास महाभारत तक जाता है जहां यह इन्द्रपस्थ के नाम से जानी जाति थी । उस्के बाद अनेक अलग –अलग राज्यों ने इसे अपनी सलतनत की राजधानी बनाया था , शहा-जहान्से लेकर हुमायुन तक अलग-अलग राजाओं ने अपने महल और कबर इतने सुन्दर तरीके से बन्वाए की आज तक इन्को देख्नने लाखों लोग आते हैं । इन्में से कुछ मशहूर ऐतिहासिक स्थल हैं लाल किला , पुराना किला , क़ुतब मिनार । मेहरौलि और चान्दनी चौक के आस पास वाले ज़िलों मे अन्य और भी ऐतिहासिक इमारितें दिख्ती हैं । इन इमारतों के स्थापना मुघल सन्तनत के राजाओं ने अपने – अपने समय कर्वाइ थी।
रविवार, 2 नवंबर 2008
दूरदर्शन का प्रभाव
1990 के बाद केबल टी वी द्वारा पश्चिमी चैनल दूरदर्शन पर दिखने लगे। इस समय बच्चों पर पश्चिमी प्रभाव बढ़ने लगा। वे पश्चिमी संस्कृति को अपनाने लगे। दुख की बात यह है कि पश्चिमी सभ्यता के गुणों को अपनाने के बजाए, भारतीय शहरों मे रहने वाले बच्चों ने उनकी बहुत सी बुरी आदतें भी अपनाई हैं।
1995 के बाद एकता कपूर के बहुत से कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाई देने लगें, जो ज़्यादातर साँस-बहू के बुरे रिश्तों के विषय पर बनाएँ जाते हैं। मेरी राय मे ये कार्यक्रम समाज मे बुरे खयालात फैलाते हैं।
आज कल भारत मे समाचार चैनलों की गुणता बहुत गिर गई है। असली खबर पर कम और फ़िल्म कलाकारों की ज़िंदगी पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है। अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के हर कदम के बारे मे सब को खबर रहती है, परन्तु दुनिया की आर्थिक स्थिती के बारे मे केवल गिने चुने लोग जानते हैं। मेरी राय मे भारतीय मीडिया को अपनी ताकत पहचाननी चाहिए और उस ताकत को समाज के भले के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
शनिवार, 1 नवंबर 2008
मिशिगन मे दिवाली
पिछले तीन सालों से मै भारतीय विद्यार्थी संगठन के शासक मंडल पर रहा हूँ। दिवाली के नियोजन मे लगभग 2 महीने लगते हैं। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों से फुलझड़ियाँ जलाने की आज्ञा लेने मे बहुत समय लग जाता है। चूंकि हमे इस साल भारतीय रेस्टोरेन्ट से खाना लाने की आज्ञा नही मिली, हमे विश्वविद्यालय के बावर्चियों को भारतीय खाने को पकाने का तरीका सिखाना पड़ा। यह बहुत ही कठिन कार्य था, परंतु, अंत मे उन्होंने काफ़ी अच्छा खाना बना ही लिया। सभी मेहमानों को यह उत्सव बहुत ही अच्छा लगा, और उनको खुश देख मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2008
दिवाली
सोमवार, 27 अक्टूबर 2008
कम्पयूटर का ज़माना
रविवार, 26 अक्टूबर 2008
दीपावली
तब से यह त्योहार, प्रतिवर्ष, नवंबर या अक्तूबर मे अमावस्या की रात को मनाया जात है। लोग इस दिन को अपने घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहन्ते हैं, अपने घरों को दीपों से उज्जवल करते हैं, और पटाखे भी जलाते हैं। हिंदू धर्म के लोग शाम को लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा भी करते हैं। माना जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से साल मे धन की कोई कमी नही होगी।
ऐन आर्बर मे भारतीय छात्र संगठन प्रतिवर्ष दीपावली मनाता है। मिशिगन यूनियन के बाहर बहुत से लोग फुलझड़ियों को जलाते हैं। कुछ छात्र नाटक और संगीत का प्रदर्शन करते हैं। अंत मे सभी लोग मिलजुलकर भारतीय खाना खाते हैं। परदेस मे रहकर भारत जैसा माहौल देखकर दिल बहल जाता है।
रविवार, 19 अक्टूबर 2008
विज्ञान और मै
हमारे पाठशाला मे प्रतिवर्ष ‘साइंस डे’ मनाया गया। ‘साइंस डे’ 28 फरवरी को मनाया जाता है। 1928 मे इस दिन पर सी. वी. रमन नाम के वैज्ञानिक ने दुनिया को अपनी एक महत्त्वपूर्ण खोज के बारे मे बताया। इसी खोज के लिए उन्हें 1930 मे नोबेल पुरस्कार मिला।
‘साइंस डे’ पर हमारे पाठशाला के सभी विद्यार्थी अपने-अपने अविष्कारों का प्रदर्शन करते थे। मैने छ्ट्टी कक्षा मे अंधे लोगों के लिए कलम बनाई। वह कलम स्याही के बजाय ऊन पे चलती थी। कागज़ के बजाए ‘वेलक्रो’ पर लिखना पड़ता था ताकि ऊन वेलक्रो पर चिपक सके। नेत्रहीन लोग चिपके हुए ऊन को महसूस करके शब्दों का आकार जान सकते थे।
इसी आविष्कार के लिए मुझे उस वर्ष प्रथम पुरस्कार मिला। मैने वह कलम दिल्ली के ‘ब्लाईन्ड स्कूल’ को दान कर दिया। इस आविष्कार के साथ मैने इंजीनियरिंग की दुनिया मे अपनी यात्रा शुरू करी।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा
डाँ. विकरम साराभाई ने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना करी। उनके नेतृत्व के समय भारत ने राकेटों को अंतरिक्ष मे भेजने की कला विज्ञान हासिल करी। 1979 मे, रूसी राकेट द्वारा, भारत की पहली सेटेलाईट ’आर्यभट’ अंतरिकक्ष तक पहुँची। 1980 मे, ‘सेटेलाईट लाँच वेहिकल’ नामित देशी राकेट पर ‘रोहिनी’ नाम की सेटेलाईट अंतरिक्ष तक पहुँची। इस घटना के कारण, भारत का नाम वैज्ञानिको की बिरादरी मे प्रसिद्ध हुआ।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 1980-2008 के बीच बहुत प्रगति की है। पिछले दशक मे इसी संगठन ने इसराइल और इटेली की सेटलाईटों को ‘पी.एस.एल.वी’ और ‘जी.एस.एल.वी’ राकेट द्वारा अंतरिक्ष मे भेजा। भारत के ‘पी.एस.एल.वी’ और ‘जी.एस.एल.वी’ राकेट दुनियाँ के सबसे कामियाब राकेटों की सूची मे शामिल हैं।
22 अक्तूबर 2008 को भारत ‘जी.एस.एल.वी’ राकेट द्वारा एक सेटलाइट चंद्रमा की ओर भेजने वाला है। यदि यह मिशन कामियाब हो, तो भारत उन उच्च वर्ग देशों की सूची मे शामिल होगा, जिनके पास चाँद तक पहुँचने का ज्ञान है।
मंगलवार, 14 अक्टूबर 2008
"दादा"
सन दो हज़ार में "मैच फिक्सिंग" की समस्या के बाद सौरव भारत क्रिकेट टीम के कपतान बने और अगले ४ साल में जो इन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए किया , शायद किसी भी कपतान ने नही किया होगा कपिल देव ने इंडिया को १९८३ मैं विश्व कप जिताया होगा और भारत का नाम रोशन किया होगा लेकिन जितनी उन्नति भारतीय टीम ने २००० से लेकर २००५ के बीच की , शायद बहुत साल के लिए फिर से नहीं देखि जायेगी आप पूछेंगे फिर- इनमे क्या खासियत थी की सिर्फ़ अपने पहले मैच के चार साल बाद वे कपतान बने? सौरव दादा की सबसे ख़ास बात यह थी कि उन्होंने अपनी टीम में एक नया एहसास दिलाया उनका अपने ही खिलाड़ियों में विशवास ने सबको दिखा दिया कि शायद भारत कि टीम अभी क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम रोशन कर सकती है इसी विशवास को लेकर, सौरव भारत को २००३ में विश्व कप की आखरी स्थर तक लेकर गए इसके इलावा, उन्होने पाकिस्तान को दोनों भारत और पाकिस्तान में पूर्ण ढंग से हराया
आज अफ़सोस की बात यह है कि दादा अभी ३६ साल के हो गए हैं और पिछले डेढ़ सालों में वे टीम के भीतर-बाहर रहे हैं उन्होने २ हफ्ते पहले कह दिया कि अभी चलती टेस्ट सीरीज़ के बाद वे क्रिकेट से पीछे हट रहे हैं असल में यह एक उदास दिन होगा क्योंकि मेरी राय में वे क्रिकेट के सभी खिलाडयों, भूतकाल या वर्तमान काल में, में से एक सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे
परीक्षा
सोमवार, 13 अक्टूबर 2008
सत्य
गाय-बैल
कुछ तेली भी बैलों का उपयोग तेल बनाने में लाते हैं गांव में कोल्हू बैठाये जाते हैं जिसमें कोई बिजली की जरूरत नहीं पड़ती है इससे बिजली की भारी बचत होती है तथा तेल भी शुद्ध निकलता है एवं प्रोटीन भी शत प्रतिषत बना रहता है।
बैलों का उपयोग किसान कुऐं से पानी निकलाने के उपयोग में भी लाते हैं इस प्रकार गाय एवं बैल दोनों ही देष के लिये बहुत ही उपयोगी जानवर हैं।
शनिवार, 11 अक्टूबर 2008
गुजरात, 2002
ये सब फरवरी, 2002 को गोधरा नाम के शहर मे शुरु हुआ। उस दिन 58 हिंदु कारसेवक साबरमती एक्स्प्रेस नामित रेल गाड़ी मे आग के कारण मारे गए। ऐसा आरोपित किया गया है कि यह आग कुछ मुसलमानों द्वारा आरंभिक की गई, परन्तु आज तक यह बात अदालत मे साबित नही हो पाई है।
रेल गाड़ी के जलने की खबर तेज़ी से गुजरात मे फैली। इस हादसे के कारण हिंदु और मुसलमान सम्प्रदाय के लोगों के बीच तनाव पैदा हुआ। अगले दिन अहमदाबाद में हिंदुओं ने जुलूस निकाला जिसका नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरी तरह समर्थन किया। इसी जुलूस के दौरान दंगे शुरु हुए। गुससे से गर्म हिन्दु लोगों ने मुसलमानों की हत्या करी। इसके कारण मुसलमानों मे भी गुससा बढ़ा और उन्होंने हिन्दुओं पर वार किया।
बहुत से पुलिस अफसरों ने आरोप किया है कि नरेंद्र मोदी ने उनको मुसलमानों की मदद न करने का संदेश दिया। जिन अफसरों ने इस आदेश का विरोध किया, उनका तुरंत ट्रांस्फर कर दिया गया। बी जे पी सरकार से दबाव की वजह से, इस बात को ज़्यादा महत्त्व नही दिया गया।
इसके बावजूद, नरेन्द्र मोदी ने अपने पद से इसतीफा नही लिया। हैरानी की बात यह है कि गुजरात के लोगों ने उनको दोबारा अपना मुख्यमंत्री चुना, और उस चुनाव के बीच पूरा भारत चुप रहा। हमारे देश को क्या हो गया है?
पर्यावरण
आज, उस घटना के तीस साल बाद, हम इस पृथ्वी के नाज़ुक पर्यावरण को बिना सोचे समझे नष्ट करते जा रहे हैं। प्रतिदिन, लकड़, काग़ज़, गोंद आदि उत्पादों को बनाने के लिए, हज़ारों वृक्षों को काटा जाता है। इसके कारण, बहुत से जीव-जन्तुओ का नाश होता है।
गाड़ियों एवं कारखानों मे ईंधन के उपयोग की वजह से दुनिया मे प्रदूषण बहुत फैल रहा है। इस प्रदूषण के कारण, पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। अब उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव मे बर्फ पिघल रही है और अगले 20-30 सालों मे समुद्री तटों पर स्थित शहरों मे बाढ़ आने की आशंका बढ़ रही है। बढ़ते तापमान की वजह से दुनियाभर मे आंधियों की आवृत्ति भी बढ़ रही है।
हम सभी पृथ्वी को चोट पहुँचा रहे हैं। हमारे कर्मों की वजह से, इस खूबसूरत दुनिया का धीरे-धीरे नाश हो रहा है। अब इस नाज़ुक हीरे की रक्षा करने का समय आ गया है।
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2008
सूझ-बूझ
इधर छोटे पुत्र ने सोचा इतने कम रूपये में कैसे कमरा भरेगा सो उसने सोंचा खराब चीजों से कमरा भरना उपयुक्त नहीं है उसने मात्र एक दीपक लाकर बीचों बीच कमरे में रख कर जला दिया।
उधर दरबार में दोनों पुत्रों को बुलाया गया बड़े पुत्र का कमरा पहले देखा गया जिससे भयंकर दुर्गन्ध आ रही थी एवं जिसके कारण राजा, दरबारी, मंत्रीगण कपड़ा व नाक में रूमाल रखकर किसी तरह वहां से निकले फिर छोटे पुत्र के कमरे में गये वहां देखा कि कमरा बिल्कुल साफ सुथरा है बीच में मात्र एक दीपक रखा था जिसकी रोषनी से पूरा कमरा भरा हुआ था। सारे राज दरबारी मंत्रीगण खूब खुष हुए और दूसरे दिन छोटे पुत्र को राज्याभिषेक कर दिया गया।
धर्म
सफल और असफल व्यक्तियों के भेद से साहस व ज्ञान की कमी के कारण एवं संकल्प शक्ति के अभाव ही उन्हें सफलता प्राप्त नहीं होती है। धार्मिक होने के लिये छल-कपट, लोभ, असत्य, चोरी, हिंसा, क्रोध, परिग्रह मायामोह, एवं हिंसा को त्यागना होगा अपने में संस्कार और वातावरण को सही रखना पड़ेगा। अहिंसा धर्म का पालन पूर्णतया करना होगा। अहिंसा धर्म पर चलने की वकालत बहुत से गुरूओं एवं संसार के महापुरूषों ने की है जिसमें भगवान महावीर, भगवान बुद्ध एवं महात्मा गांधी प्रमुख हैं। आज के समय में विस्फोटक सामान निरन्तर बनाये जा रहे हैं ऐसे समय में अहिंसा धर्म का पालन करके संसार को तीसरे महायुद्ध से बचाया जा सकता है।
शनिवार, 4 अक्टूबर 2008
‘हिमालय’
हिमालय श्रंखला तीन तर्कों मे बटी हुई हैं; हिमाद्री, हिमाचल और शिवालिक। उनमे स्थित शहर एवं घाटियाँ अति खूबसूरत हैं। शिमला, देहरादून, मसूरी इत्यादि पहाड़ी शहर दुनिया भर मे मशहूर हैं। जगह-जगह से पर्यटक इन शहरों के वातावरण को महसूस करने आते हैं।
सदियों से ये पर्वत भारत के रक्षक रहे हैं। इनके कारण चीन के राजा-महाराजा ने कभी भी भारत पर आक्रमण करने का प्रयत्न नही किया।
हिमालय पर्वत भारत को उत्तरी चीन की ठंडी हवाओं से भी बचाते हैं, जिसके कारण उत्तर प्रदेश, बिहार आदि प्रदेशों मे खेती के लिए उचित तापमान बना रहता है। उनही के कारण, वर्षा ॠतु के समय, बादल भारत की सीमा को पार नही कर पाते, और वे हिमालय पर्वतों से टकराकर भारत के उत्तरी प्रदेशों मे खूब बरसते हैं। इसलिए सारे उपजाऊ खेत भारत के इसी खण्ड मे स्थित हैं।
बहुत सी नदियाँ भी हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों मे पेदा होती हैं। इनमे से गंगा, यमुना, सतलुज और ब्रह्मपुत्र सबसे मशहूर नदियाँ हैं।
मेरी राय मे हिमालय पर्वत भारत की पहचान के अहम हिस्से हैं।
अंधेरी रात
भोजन करने के बाद, मैने मोहन के साथ कुछ समय तक दूरदर्शन पर खबर देखी। आठ बजे के करीब मुझे नींद आने लगी, तो मै सोने के लिए अपने कमरे चला गया। क्योंकि मै काफ़ी कम उम्र का था, मुझे अंधकार मे बहुत डर लगता था। इसलिए मै सारी बत्तियाँ जलाकर, कुर्ता-पयजामा पहनकर, बिस्तर मे घुस गया। मैने बहुत कोशिश करी, परन्तु मै माँ के बिना सो नही पाया। बाहर बारिश हो रही थी, और बादल ज़ोर से गरज रहें थे। फिर अचानक ज़ोर से बिजली गिरी, और कमरे की सारि बत्तियाँ बुझ गयी।
अंधकार के कारण मै बहुत भयभीत हो गया। बाहर जब भी बिजली चमकती, मुझे जगह-जगह लोगों की परछाइयाँ दिखती। कमरे मे भी मुझे अजीब सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। क्या सचमुच कोई और कमरे मे था या क्या मेरी इंद्रियाँ मुझे धोका दे रहीं थी?
मै मोहन को आवाज़ देने वाला था, जब अचानक मैने दरवाज़े को खुलते सुना। मेरा दिल डर के मारे दौड़ने लगा। बड़ी मुश्किल से मैने दरवाज़े की ओर नज़र उठाई। ऐसा लगा कि एक मोमबत्ती हवा मे तैरकर मेरी ओर आ रही थी। मैने चिल्लाने की कोशिश करी, परन्तु आवाज़ गले से निकली ही नही। मैने आँखें बंद कर दीं। फिर मैने मोहन की आवाज़ सुनी। वह मेरा नाम पुकार रहा था। आँखें खोली तो देखा कि वह मोमबत्ती लिए बिस्तरे के पास खड़ा था। लो! मै बिना बात के डर गया था! उस दिन के बाद मेरा साहस थोड़ा सा बढ़ा, और मै अंधेरे मे फिर कभी नही डरा।
मंगलवार, 30 सितंबर 2008
इस हफ्ते
‘बापू’
गांधी जी के सम्मान मे 2 अक्तूबर भारत मे राष्ट्रीय छुट्टी होती है। शहर-शहर मे लोग ‘बापू’ और उनके आदर्शों को याद करते हैं। दिल्ली मे राजघाट पर अन्य धर्म के लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं। सभी धर्मों की पवित्र पुस्तकों से पाठ पढ़े जाते है।
बापू का सपना था कि हिंदु, मुसलमान, सिख, इसाई आदि धर्म के लोग भारत मे एक साथ अमन से रहें। आज़ादी के दिन उनका सपना टूट गया। आज़ादी के दिन, हिंदु और मुसलमानों के बीच दंगों के कारण सैकड़ो लोगों की जान गयी। उस दिन से हालात मे थोड़ा सुधार तो आया है, परंतु अभी भी दोनो धर्मों के लोगों के बीच तनाव की स्थिति बन जाती है। परंतु, बापू के जन्मदिन पर सब लोग अपने मतभेद भूलकर एक साथ उनके आदर्शों को याद करते हैं।
यही है हमारे राष्ट्रपिता की ताकत। उनका शरीर हमें बहुत साल पहले छोड़ गया, परंतु आज भी, केवल उनकी सोच हमारे देश को एक कर सकती है।
सोमवार, 29 सितंबर 2008
गुरू की महिमा
गुरू ही हमें गोविन्द अर्थात् परमात्मा से भी मिलाने का रास्ता बताते है इसलिए परमात्मा से पहले गुरू का सम्मान किया गया हैं। जिस राष्ट्र में गुरूओं का सम्मान नही होगा उस राष्ट्रª का पतन अवश्यभावी है।
राजाओं के समय में भी गुरूओं को सदैव उचित सम्मान मिलता रहा हैं यहाँ तक कि वो अपनी सभाओं में राज्य ज्योतिषी तथा नीतिगत राज्य चलाने के लिए धर्म गुरूओं को भी सभाओं में सर्वोच्च स्थान देते थे ताकि राज्य को नीतिपूर्वक चलाया जा सकें। आदि काल से गुरूओं को उचित सम्मान मिलता रहा हैं और गुरूओं के द्वारा ही बनायी गयी मार्गदर्शिता, मर्यादाये राष्ट्र का निर्माण एवं विकास करती रही। आज भी देश एवं राष्ट्र को सुदृढ़, सुसुक्षित एवं सुयोग्य बनाने में गुरूओं का भारी योगदान है।
माता-पिता
‘‘ बेटा पिषाच बन जो ले कलेजा काट निकाल
तो भी उस कटे कलेजे से निकलेगा जीते रहो लाल‘‘
पिता का स्थान तो आकाश से भी ऊँचा है क्योंकि बेटे के लिए पिता के अरमान आकाष से भी ऊँचे होते है दूनिया में कोई भी किसी को अपने से आगे बढ़ता हुआ और ऊँचा उठता हुआ नही देख पाता है परन्तु एक पिता है जो अपनी संतान को अपने से ऊपर एवं बहुत ऊँचा देखना चाहता है तथा अपनी पूर्ण जिन्दगी संतानों के सुखों के लिए न्योछावर कर देता है।
‘‘धन्य है वे जो अपने माता-पिता का करते है मान
प्रभु भी करते है ऐसे लोगों का सम्मान‘‘
रविवार, 28 सितंबर 2008
'ए वेडनेसडे': फिल्म समीक्षा
नसीरूद्दीन शाह, अनुपम खेर और जिम्मी शेरगिल ने पिक्चर के मुख्य चरित्रों की भूमिका निभाई है। कहानी एक बुधवार को मुम्बई मे दो से छः बजे के बीच होने वाली घटनाओं की है। एक आदमी (नसीरूद्दीन शाह) पुलीस कमिश्नर प्रकाश राठोर (अनुपम खेर) को फोन करके धमकाता है कि यदि 4 खतरनाक आतंकवादियों को छः बजे से पहले जेल से रिहा न किया जाए, तो वह मुम्बई मे जगह-जगह बम विस्फोट कर देगा। राठोर इस आदमी को रोकने की पूरी कोशिश करता है। अंत मे कहानी मे ऐसा घुमाव आता है जिस्से निर्देशक एवं अभिनेताओं की बेहतरीन कला का प्रदर्शन होता है।
यह पिक्चर आम हिन्दी पिक्चरों से काफी अलग है। न तो इसमे गाने हैं, और इसकी लम्बाई केवल डेढ़ घंटे की है। इस पिक्चर का मकसद है आम आदमी का दुनिया देखने का नज़रिया बदलना। इसको ज़रूर देखिए। शायद आपका नज़रिया भी बदल जाए।
शनिवार, 27 सितंबर 2008
चमड़ी
सेहद ख़राब होने की द्रष्टिकोण पर वापस लौटकर, हम यह कह सकते हैं कि ख़राब खाल से शरारीरिक असर ही नहीं परन्तु मानसिक असर भी पड़ता है देखें तो चमडी से सम्बंधित बीमारयों में एक आम वाला एक्जीमा है सिंगापुर में मेरी कक्षा में एक विद्यार्थी को इस बीमारी की बदकिस्मती थी और साफ़ साफ़ नज़र आता था कि वह अपने दैनिक कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाता था कक्षा में बैठे वह अपनी चमडी को नोचता रहता था और दिन के अंत में उसे इतना गुस्सा आता था कि वह गृहकार्य समय पर पूर्ण नहीं कर पाता था अगर यह उसके मुश्किलों को प्रमाणित नहीं करता है तो आप उसकी परीक्षा की हालत सुनो एक दफा उसने आधे से कम परीक्षा ख़तम करके अध्यापक को पेपर दे दिया और जब उसे पूछा गया तो उसने एक ही पंक्ति में जवाब दी, " माफ़ कीजियेगा, मैं आधे समय खारिश कर रहा था"
बुरी चमड़ी हमारे शारीरिक और मानसिक योग्यताओं को ही ख़राब नहीं करती है परन्तु हमारे शरीर के दूसरे अंगों की योग्यताओं को भी ख़राब कर देती हैं कभी कभी चेहरे पे अगर मोटे मोटे ढेर उग जायें, तो देखने और सून्गने में अधिक कठिनाई आ जाती हैं और दिन ब दिन आसान कार्य पूरे करना उन लोगों के लिए असंभव हो जाता है
मैं बाहर हर माता पिता से निवेदन करना चाहूँगा कि छोटी उमर में ही अपने बच्चों की खाल की देखभाल करें ताकि उनके बच्चों और उनकों पछताना न पड़े!
मंगलवार, 23 सितंबर 2008
खेल का महत्व
स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बड़ा सकते
हैं अक्सर कहा जाता है की खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आंखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत में, अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लोगों के बीच प्यार की सम्भावना बढती है और क्यों न कभी कभी यहाँ वहां असम्मति हो- दोस्ती लडाई से दुश्मनी तो नहीं बन जाती ना?
आज भी कुछ समाजों में खेल को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना ज़रूरी है माता पिता आज भी चाहतें हैं की उनका बेटा क्रिकेट खिलाड़ी की जगह डाक्टर बने या फिर फुटबॉल मारने की जगह घर के शांत वातावरण में किताब पड़े मैं इनकी रायों का सम्मान ज़रूर करता हूँ लेकिन मैं नहीं मानता कि शिश्य के लिए पूरी तरह से खेल बंद करना चाहिए खेल के महत्व को समाज के हर व्यक्ति को समझना चाहिए और इस संदेश को प्रसारण करने में अगर मैं कुछ कर सकता हूँ तो निह्स्संकोच होकर करूंगा
सोमवार, 22 सितंबर 2008
यदि मै राजनेता होता तो क्या करता
पर्यावरण
रविवार, 21 सितंबर 2008
मै घर से निकलने ही वाला था जब डाकिया आया और मेरे हाथ मे चिट्ठी दे गया। चिट्ठी मिशिगन विश्वविद्यालय से थी। मुझे उत्तेजना से पेट मे गुदगुदी होने लगी। गाड़ी मे बैठते ही मैने चिट्ठी खोली। जैसे ही मैने पढ़ा कि मुझे मिशिगन विश्वविद्यालय मे दखिला मिल गया है, मै फूला न समाया। मैने तुरंत अपनी माँ और भाई-बहन को टेलीफ़ोन करके खुशख़बरी सुनाई।
उस दिन के पाँच महीने बाद मै दिल्ली छोड़कर मिशिगन आया। यहाँ तीन साल कब और कहाँ बीते, मुझे पता ही नही चला। आज मै ज़िंदगी के अगले मुकाम पर खड़ा हूँ। इस बार मै आमदनी प्राप्त करने के लिए नौकरी ढूंढ रहा हूँ। परन्तु अर्थव्यवस्था की दशा के कारण, इस मुकाम को पार करना असंभव लग रहा है।
माया
चेहरे पर मुस्कराहट
पठरी पे रेल गाड़ी
और दिल मे केवल चाहत।
लोगों की नदियों मे
मै खड़ा था अकेला
इंतज़ार की घड़ी को
साहस से मैने झेला।
सूरज ढल रहा था
होने लगा अंधेरा
ढलती रोशनी मे
दिखा न उसका चेहरा।
जब कहीं नही दिखी वो
मन थोड़ा सा घबराया
नज़र इधर से उधर गयी
परन्तु उसको नही पाया।
एक घंटे तक मै वहाँ रुका
पर कहीं नही दिखी वो
सोचा घर जाकर देख लूँ
शायद वो आप निकल गयी हो।
बाहर निकला तो देखा तो
प्रत्यक्ष थी मेरी ‘माया’
खुशी से वो चीख उठी
और मुझको गले लगाया।
बुधवार, 17 सितंबर 2008
जल का महत्व
(राहुल जैन)
जैन धर्म का महत्व
जैन का अर्थ है जिसने स्वयं को जीत लिया और धर्म का अर्थ है जिस वस्तु का जो स्वभाव है उसे वेसा ही मानना धर्म है। जैन धर्म में दस धर्म का बहुत महत्व है इस दस धर्म को एक-एक दिन में बांटकर उसे भादव सूदी 5 से 14 तक विषेश मनाया जाता है इसमें प्रथम दिन में उत्तम क्षमा से षुरू होकर उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम षौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन एवं उत्तम बृहमचर्य है।
(राहुल जैन)
मंगलवार, 16 सितंबर 2008
पाठशाला
सिंगापुर या भारत?
सोमवार, 15 सितंबर 2008
आनन अर्बोर के पहले हफ्ते
मैं असल में काफ़ी खुश हूँ कि मैं यहाँ हूँ और मुझे यकीन हैं कि दो - तीन महीनों में मेरी दूसरे लोगों से दोस्ती जम जायेगी और मैं उत्सुकता से अगले हफ्तों की इंतज़ार करूंगा
रविवार, 14 सितंबर 2008
आतंकवाद
तेरह सितम्बर दो हजार आठ को दिल्ली मे पाँच ज़बरदस्त बम विस्फोटों ने त्राही-त्राही मचा दी। इन धमाकों के कारण इक्कीस बेकसूर लोग मारे गए और सौ से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए। इंडियन मुजाहिद्दीन नाम के आतंकवादी संगठन ने इन धमाकों के लिए ज़िम्मेदारी ली है।
मेरा पूरा परिवार दिल्ली मे रहता है। जैसे ही मैने बम विस्फोट की खबर सुनी, मेरा मन घबरा गया। खबर मिली थी कि धमाके अधिक आबादी वाले इलाकों में हुए थे। मैने तुरन्त अपनी माँ को फोन लगाया, परन्तु किसी कारण फोन लग नही रहा था। चिंतित होकर मैने लगतार पंद्रह मिनट तक फोन लगाया। ऐसी स्थिती मे एक क्षण भी अर्सा लगता है। अंत मे माँ से बात हो ही गयी और पता चला कि घर मे सब लोग ठीक हैं।
आतंकवादियों की कुछ माँगे होती हैं। वे चाहते हैं कि लोग उनकी माँगों को पूरा करें। वे सोचते हैं कि इन हादसों द्वारा उनकी आवाज़ सामाज तक पहुँचती है और लोग उनकी बात सुन्ने के लिए राज़ी हो जाते हैं। परंतु, उनकी सोच बिलकुल गलत है। इन हादसों से सामाज मे भय और आतंकवादियों के प्रति घृणा पैदा होती है। आतंकवादियों का उद्देश बीच मे कहीं खो जाता है। अंत मे बेकसूर लोगों को ही हानि पहुँचती है।
हिन्दुत्व - हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति अथवा जीवन दर्शन है जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को परम लक्ष्य मानकर व्यक्ति या समाज को नैतिक, भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के अवसर प्रदान करता है। हिन्दू समाज किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं हैं, किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित या किसी एक पुस्तक में संकलित विचारों या मान्यताओं से बँधा हुआ नहीं है। वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति-रिवाज को नहीं मानता। वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की परम्पराओं की संतुष्टि नहीं करता है। आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय या भारतीय मूल के लोग सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिसे पश्चिम के लोग समझते हैं । कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति है; यह मस्तिष्क की एक दशा है। हिन्दुत्व एक दर्शन है जो मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त उसकी मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आवश्यकता की भी पूर्ति करता है। इसी को हिन्दुत्व कह्ते हैं ।
गुरुवार, 11 सितंबर 2008
दिल्ली मे हमारा शीला सिनेमा के नाम से सिनेमा घर है, जिसका मेरे दादाजी ने मेरी दादी के बाद नामकरण किया। वहाँ ज़्यादातर हिंदी पिकचरें ही चलती है। इसी कारण मै हिंन्दी पिकचरों मे बहुत रुची लेता हूँ।
मेरे अनुसार 'शोले' दुनिया की सबसे श्रेष्ठ पिकचरों मे से एक है। निर्देशन एवं अभिनय मे कोई खोट नही है। यदि आप ने अभी तक यह पिकचर नही देखी हो, तो मेरी राय माने और जल्द से जल्द इसे देखने का प्रय्त्न कीजिए।