बुधवार, 5 दिसंबर 2007

क्रिसमस

क्रिसमस इसाई समुदाय के लोगों का महापर्व है। यह पर्व हर वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है । इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था । सभी इसाई ईसा मसीह की शिक्षाओं को ही अपने धर्म का मूल आधार मानाते हैं । ईसा मसीह को जीसस क्राइस्ट भी कहते हैं । ईसाई मानते हैं की ईश्वर ने इस संसार की रचना की है तथा अपने दूतों के माध्यम से लोगों को संदेश देते हैं । ईश्वर के पुत्र जीसस इस धरती पर लोगों को जीवन की शिक्षा देने के लिये आये थे। जीसस ने कहा था कि ईश्वर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं तथा हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिये । ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग दीन दुखियों की सेवा करना है । क्रिसमस का त्योहार हमें यही पावन संदेश देता है।

ईसाइ परिवारों में क्रिसमस की तैयारी कई दिनों पूर्व से ही होने लगती है । दुकानें सजाई जाती हैं व तरह-तरह के केक - मिठाइयाँ मिलती हैं ।क्रिसमस के दिन एक दूसरे को केक व अन्य उपहार बाँटे जाते हैं तथा क्रिसमस की बधाइयाँ दी जाती हैं । चारों ओर उत्सव व उल्लास का समा बन्ध जाता है । घरों के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाने तथा इसे खूबसूरती से सजाने का रिवाज़ भी है । चर्च व ईसाइघरों में मोंमबत्तियाँ जलाकर सामूहिक पूजा होती है ।

क्रिसमस का त्योहार जनसमुदाय को भाईचारा, मानवता व परोपकार का पावन संदेश देता है । यह उत्सव सुख, शांति व समृद्धि का सूचक है।

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