दुबई
रेगिस्तान से एक आधुनिक शहर तक
कुनाल झाम
रेगिस्तान से एक आधुनिक शहर तक
कुनाल झाम
दुबई - एक ऐसा शहर जो कल के शहरों के विकास के मिलान में एक दिन में बनाया गया है। दुबई एक ऐसा शहरहै जो दुनिया के मानचित्र पर एक छोटा बिन्दु बनाता है । परन्तु आज कल अपने प्रगतिशील कामों से दुनिया मेंइतना हल्ला मचा रह है कि वह किसी को भी अपने से कही गुना ज्यादा बड़ा होने की दोखा दिला सकता है। कोइमानता है कि दुबई सोने का शहर है तो कोइ मानता है दुबई हर ग्राहक का स्वर्ग है। दुबई जैसे गातिक शहर के बारेमें बहुत कुछ कहा जा सकता है , परन्तु मेरे जैसे आम व्यक्ति के लिये यह शहर करीबन सत्र साल पहले मेरा घरबना और आज के नवीन इमारतों के बीच भी मेरा घर है। मैं आज आपको अपने इस घर के बारे में बताऊंगा।
दुबई यूनईटेद अरब एमिरिट्स देश का मुख्य शहर है। यह शहर अरब रागिस्तान में स्थित है परन्तु आज कि इनविकासों के बीच इसे रागिस्तान का हिस्सा कहलाना बहुत मुश्किल है। तीस सालों के अन्दर यह शहर एक अनंतखुले मैदान से एक प्रधान नगर बन गया है । दुबई की तेज प्रगति के पीछे बहुत कारण है जो आज दुनिया के सबसेतेज गति से बढ़ने वाली शहरों कि सूची में इसे शामिल करवाता है । दुबई की सरकार अपने सोच में बहुतआधुनिक और सीधे है, जो अनेक देशों से लोगों को आकर्षित करता आ रहा हैं। दुबई में राजकर न होने के कारणबहुत से विदेशी नियंत्रित कंपनियों ने दुबई mein मध्य पुर्वी देशों के साथ व्यापर करने के लिये अपना अड्डाबनाया है। दुबई अफ्रीकी, यूरोपीय और एशियाई देशो के बहुत ही करीब स्थित है। अतः हर साल इन देशो सेअनगिनत व्यापारियों अपने कारोबार को बढ़ाने के लिये दुबई में अपने व्यापर की स्थापना करते है। अन्य अरबदेशों की तरह दुबई को सुव्यवस्था भी तेल पर आश्रित थी, परन्तु छोटे, मध्यम और बढ़े व्यापारियों कि स्थापनाओंकी वजह से उसकी सुव्यवस्था अब मुख्य रूप से कारोबारों पर आधारित हैं। इस लिये दुबई को मध्य पुर्वी देशों कासंचार और व्यापर केन्द्र माना जाता है। अरब देश का एक शहर होने के कारण हर कोइ सोचता है कि अन्य अरबदेशों जैसे दुबई में भी अधिक संख्या अरबियों कि संख्या होगी, परन्तु सच तो यह है कि दुबई कि जन संख्या में सेसिर्फ १५ % अरब हैं। बाक़ी के ८५ % आबादी भारतीय, पाकिस्तानी, बंगलादेशी, फिलिपीनो और यूरोपीय लोगमुख्य रूप से बनाते है। अरब देश होने के बावजूत इतनी विभिन्नता के कारण दुबई को एक अपूर्व देश माना जाताहै। इन सांस्कृतिक भेदों के बीच दुबई ने अपना खुद का एक संस्कृति विकसित किया है जिसे हर कोइ व्यक्तिदुनिया के किसी भी कोने से आकर स्वीकार कर सकता है। यही है दुबई के माहौल का कमाल!
अब जो मैंने आपको दुबई शहर का परिचय दे दिया है, मैं आपको एस विषय को चुनने का कारण बताना चाहूँगा। मैं आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूँ कि मुझे किसी अनजान देश मी किसी अजनबी से बात करना कभीमुश्किल नही पड़ेगा - बस यह बात छेड़ने पर कि मैं दुबई से हूँ, सब जिज्ञासु आखों से मेरी ओर देखकर मुझ सेदुबई के बारे में प्रशन पूछना शुरू कर लेते हैं। हर किसी के कौतुहल का कारण दुबई के अनगिनत अनुपम विकासहै जिसका परिणाम ऐसे अपूर्व इमारते हैं जो दुनिया में और कही नही मिलेंगे। दुबई के इस बढ़ती आम्पसंदी परनजर डालने के लिये मैंने यह विषय चुना है। साथ ही साथ मैं दुबई के विकास पर अपने विचारों को पेश करनाचाहूँगा। खबरों में दुबई का एक बहुत ही खूबसूरत तस्वीर बनाया जाता हैं परन्तु मुझ जैसा निवासी ही इस प्रगतिका कीमत जानता हैं जो हम सब को बहुत भारी पड़ रहा हैं।
आओं दुबई के इन विकासों पर रोशनी डाले । २००२ तक दुबई कि स्थावर सम्पदा शेत्र घरेलू और छोटा था । इसकाकारण यह था की विदेशियों को दुबई में ज़मीन खरीदने कि अनुमति नही थी । सरकार के अनुसार सिर्फ अरबलोग दुबई में ज़मीन खरीद सकते थे । हर विदेशी हर साल अपने घर और अपने दफ्तर का किराया अपने ज़मींदारको देते थे । चाहे कोई क्यों न कितने भी सालों से एक घर में रहता आ रहा हो , वह भी इस घर का मालिक नही बनसकता है । दुबई में राजकर नही है पर यह किराये का व्यवस्था एक किसम का कर ही माना जाता है । परन्तु सन्२००२ में दुबई के शासक ने यह नियम मिटा दिया जो आज के प्रगति का मुख्य कारण है । उस वर्ष के बाद कोई भीदुबई में सम्पति प्राप्त कर सकता है । दुबई के इस विभिन्न माहौल में हर कोई अमीर व्यक्ति रहना चाहता है औरचारों ओर से दुबई के स्थावर संपदाओं में लोग रूपया लगा रहे है । हर किसी को पता था कि इस नए मार्केट मेंरूपया डालने से हर किसी को मुनाफा होगा , जहाँ से दुबई के अनगिनत निराले अनुमान की शुरुवात हुई ।
दुनिया का हर कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति आज 'बुर्ज अल अरब' को जानता है । यह होटल दुनिया का सबसे ऊँचा औरसबसे विशाल होटल है । इस इमारत की स्थापना होने पर यह दुनिया का अकेला होटल था जो 'सेवेन स्टार ' होटलमाना जाता था । इस होटल ने दुबई को पूरे दुनिया के सामने एक पहचान दी और दुनिया के उमंगी निशेशको कोअपने ओर आकर्षित किया । 'दुबई इंटरनेट सिटी ' और 'दुबई मीडिया सिटी' द्वारा हर कोई माध्यम या अपनेव्यापार की स्थापना आसानी से कर सकता है । 'दुबई इंटरनेट सिटी' में 'मईक्रोसोफ्त' , 'रॉयटर्स' , 'सोनी' इत्यादिजैसे विश्वीय कंपनियों ने दुबई को अपने कारोबार का महेत्व्पूर्ण केंद्र बनाया है । इन इमारतों में तकनीकीअवसंरचना का तुलना दुनिया के उच्चतर व्यापार केन्द्रों से किया जा सकता है । 'दुबई मरीना ' प्रोजेक्ट के समाप्तहोने पर वह दुनिया का सबसे बड़ा आवासी परियोजना है जिसमे ४० इमारतें की स्थापना २००७ में हो गयी । दुबईके शासकों ने सोचा कि क्यों न सम्पति को एक नया रुप दें? इस विचार को मानव निर्मित द्वीप द्वारा पूरा किया । दुनिया के हर कोने से इस परियोजना को जीवित करने के लिए निर्माता बुलाये गए और 'पाम डेरा ' , 'पाम जुमैरा ' और 'पाम जबल अली ' परियोज्नाये को बनाने का निश्चय किया । इन मानव द्वीपों को खजूर के पेड़ के आकार मेंबनाया जा रहा है । इन द्वीपों पर शेह्र को झेलने की योजना की जा रही है जिस से इन द्वीपों पर हर किसी मनोहरताका प्रबंध किया जाएगा ।
बुर्ज दुबई इमारत आज दुनिया का सबसे उंच इमारत है । इस परियोजना को समाप्त होने में अभी तक साल सेज्यादा वक्त बचा है और समाप्त होने पर यह इमारत आसमान को छूता हुआ आठ सौ मीटर तक खड़ा होगा । अपनेही सफलता को चुनौती देते हुए 'अल बुर्ज' नमक इमारत की स्थापना करने की घोषणा की गयी है जो हजार मीटरके ऊँचाई को पार करेगा । 'दुबई मॉल ' बुर्ज दुबई के इमारत के सामने बनाया जा रह है जो दुनिया का सबसेविशाल मॉल होगा ।
इन सब परियोजनाओं के अलावा ऐसे और भी अजीब निर्माणों की घोषणा की गयी है जो दुनिया में और कही भीकिसी ने बनाने की सोच भी नही की होगी।' हईद्रौपलीस' दुनिया का पहला होटल होगा जो पानी के बीस मीटर नीचेबनाया जाएगा । 'ड वर्ल्ड ' दुनिया के रुप में एक मानव निर्मित द्वीप होने वाला है जो छोटे छोटे द्वीपों से बनायाजाएगा । इन द्वीपों को सिर्फ एक पूरे द्वीप जैसा खरीदा जा सकता है जिसे सिर्फ पानी या हवाई जहाज द्वारा पंहुचाजा सकता है। इन परियोजनाओं की सूची की कोइ अंत ही नही हैं। दुबई के इन अजीब परियोजनाओं की सूची कीकोइ अंत ही नहीं है। दुबई के इन अजीब परियोजनाए मी पैसा डालने के लिये बहुत से ऐसे लोग है जिनके बैंकबैलेंस पर इसका कोइ असर नहीं पड़ता।
आप यही सोच रहे होंगे कि इन सब निर्माणों को समाप्त करने के लिये और दुबई के इस ख्वाब को पुरा करने केलिये लोग कहाँ से आ रहे हैं? भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के करीब होने के कारण हर रोज बहुत सारे श्रमिकइन इमारतों को खड़ा करने के लिये और अपने परिवार के लिये रोजी रोटी कमाने के लिये आ जाते हैं। युनईतेदअरब एमिरिट्स की जन संख्या में से ८० % श्रमिक लोग बनाते हैं। हर कोइ आ जाता अपने दिल के अरमानों पुराकरने को परन्तु रह जाता हैं निराश, लाचार और थका हुआ। सभी लोग जानते है दुबई कि प्रगति कि कहानी। परबहुत कम लोग दुबई में मानव अधिकार के अतिक्रमण के बारे में जानते है। कहना हैं कि आठ मजदूरों को एकसाथ कमरे में रहने का प्रबंध किया जाता हैं। दुबई के घर्मी के मौसम में कड़ी धूप में काम करवाया जाता है। महिनूंभर कि तन्ख्वा मजदूरों को नहीं दिया जाता है जिनकी वजह से वे घर पैसे नहीं भेज सकते। वे खड़े करते हैं दुनियाके अन्य अजूबे परन्तु खुद रोजी रोटी कर चैन कि नींद तक नहीं सो सकता है। क्या यही इन्साफ है?
आजकल बहुत सरे निवासियों इन मजदूरों पर दया खाकर पानी और खाने का बंदवस्त कर रहे है। दुबई में स्थितभारत के कौंस्लेट ने इस बात कि योजना भारत कि सरकार से भी की जिसके कारण दुनिया को दुबई स्थितनिर्माण कंपनियों के इन काले करतूतों के बारे में पता चाल रहा है। सं २००६ में कुछ मजदूरों ने अपने स्थिति सेखुश न होने पर बुर्ज दुबई के दफ्तरों मी काफी तोड़ फोड़ किया और सरकार को इस नाइंसाफी के बारे में सूचितकिया।
हम आम निवासियों की स्थिति भी कुछ ऐसे ही है - परेशान, लाचार और थका हुआ। पहले तो इन सब नएनिर्माणों के बारे में सुनकर सभी चौंके हुए थे और गर्व से अपने घरवालो से इन निर्माणों के बारे में बात छेड़ते थे। परन्तु जैसे वक्त बढता गया , रास्ते खराब होते गए साथ ही साथ यातायात भी काफी बढ़ गया जिसकी वजह सेपांच किलोमीटर की दुरी को सफर करने के लिये एक घंटा लग जाता। आज दुबई की स्थिति काफी गंभीर हो गयीहै।
इन सब परियोजनोओं के कारण दुबई की जन संख्या पिछले पांच सालो मी दुगनी हो गई है और इन सब नएनिवासियों और निर्माणों को झेलने के लिये दुबिया शहर काफी कठिनाईयों का सामना कर रहा हैं। कुछ ही दिनपहले पूरे दुबई की बिजली एक पूरे दिन के लिये चली गयी थी - दुबई का पुरा कारोबार बंद पड़ गया था औरकंपनियों को बहुत नुकसान हुआ था। इसका कारण इन ढेर सारे परियोजनाए ही थी जो बहुत बिजली इस्तिमालकर रही थी।
दुबई के उत्तर ओर को, जहाँ इन सब निर्माणों का प्रबंध हो रह हैं, 'नया दुबई' का नाम दिया गया है। क्या दुबई किकमजोर मिटटी इस नये दुबई को झेल सकेगी? क्या दुबई के इस प्राकृतिक खिलवाड़ का असर हिम आमनिवासियों पर पड़ेगा? हमारे घर का किराया इन निर्माणों की वजह से हर साल बढ़ रह है और बुर्ज दुबई के सामनेही होने के कारण दो चार साल में दुगना होने की सम्भावना रखता है। सिर्फ नए इमारतों को खरीदा जा सकता है। पुराने इमारतों और मकानों मी रहने वाले किराया देते रहेंगे जब तक सरकार कोइ नया नियम बनाती है। क्या हमकई सालों से रहने वाले निवासियों को बढ़ते हुए निर्वाह व्यय के कारण कही और अपना घर बसना पड़ेगा? इन सबबड़ते हुए उठावों कि वजह से कंपनियों भी बहुत सरे कर्मचारियों को काम से निकाल रहे हैं।
हर देश कि प्रग्रती जरुरी है - परन्तु इस प्रग्रती का भी कोइ हद होता है जो शहर के स्थिरता के लिये जरुरी है। लगता है बहुत जल्दी दुबई इस हद को पार करके अस्थिरता की ओर बढ़ रहा हैं।
इन परियोजनाओं का सपना तो दुबई ने दिखा लिया है - अब वक्त ही बताएगा कि दुबई अपना इस एक दिन मेंनवीन शहर को खड़ा करने का सपना पूरा कर पायेगा या नही।
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