मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

असफलता ही सफलता की कुंजी है

प्रायः सफलता प्राप्त करने पर हमारी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता
है और हमारा लक्ष्य पूरा होता दिखाई देता है । परंतु यदि थोड़ी भी असफलता मिलती है तो हम निराश और दुखी हो जाते है हमें एसा नहीं सोचना चाहिए । असफलता हमें यह ज्ञात दिलाती है, कि हमसे अधिक परिश्रम करने वाला कोई दूसरा भी हो सकता है, और इस प्रकार हमारे मन में अधिक प्रयत्न करने की इछा जागृत करती है । असफलता हमें अधिक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है । सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, इसलिए हमें असफल होने पर निराश नहीं होना चाहिए ।

जीवन में असफलता का मूँह देखना भी ज़रूरी होता है । लगातार सफलता प्राप्त करने से मनुष्य के मन में अहंकार की भावना आ जाती है । अहंकार हमारे मानवीय गुणों के विकास में व्यवधान पैदा करता है । अहंकार मनुष्य के सभी गुणों को नष्ट कर देता है ।

जिस प्रकार रात्रि के उपरांत सूर्योदय का होना निश्चित है, उसी प्रकार असफलता के पश्चात सफलता का होना भी निश्चित है । असफलता, सफलता के प्रयासों में निरंतरता लाती है । इसलिए हमें असफल होने पर घबराना नहीं चाहिए। असफ़लता तो हमें अपना मार्ग दिखाती है और हमारे जीवन के लक्ष्य पूर्ति के प्रयासों में निरंतरता लाती है। इसलिए हमें दोनो को एक समान समझना चाहिए । हमारे जीवन के लिए दोनों ही आवश्यक हैं ।

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