बुधवार, 5 दिसंबर 2007

सति

सति एक हिंदु धर्म की प्रथा है बल्कि थी जिसमें एक विधवा औरत को अपनी जान कुर्बान करनी होती उसके ही पती के क्रिया कर्म के वक्त्। इस प्रथा की शुरुआत लोग मान्ते है ऐसे हुई- जब दक्षायणि अपने पती शिवा का अपमान अपने पिता दक्षा से नही सह सकी तब उन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी। परंतु आज के दिन सति के विरुद्ध ऐसे सक्त नियम हैं जिसके कारण सति की प्रथा अब काफ़ी हद तक बंद हो गयी है।
400 ए-डी में गुप्ता राज के अंत तक यह प्रथा तो बहुत ही मशहूर हो गयी थी। परंतु कई पुस्तकों के अनुसार यह प्रथा महाभारत के वक्त भी कायम थी। फ़िर इसके बाद राजस्थान और अनेक पश्चिम भारतीय प्रांतों में यह प्रथा शुरू हुई की इन मरे हुए विध्वाओं की श्रद्धा में पत्थरों को मंदिर में रखकर पूजा की जाती थी।
इसके इलावा बेंगाल में भी सति बहुत देखी जा सकती थी।1813-1828 इन पंद्रह सालों में करीबन 8000 औरतों की म्रुत्यु सति के कार्ण हुई। इन दिनो राजा राम मोहन रॉय ने सति के विरुद्ध लढाई शुरू की और वे काफ़ी सफ़ल रहे। मोगल राज्य में इस प्रथा का कोई निशाना नही दिख रहा था जबकि सारे देश में खास करके पश्चिम में तो बहुत सारे केसिस थे सति के।
-ॠषित दवे

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