बुधवार, 5 दिसंबर 2007

समय का सदुपयोग

समय संसार की सबसे बहुमूल्य चीज़ है क्योंकि एक बार गुज़रा हुआ समय कभी वापिस नहीं आता । 'टाईम इज़ मनी' अर्थात 'समय धन है ' की अवधारणा किसी भी काल में झुठलाई नहीं जा सकती । समय को व्यर्थ करना संसार की सबसे बड़ी मूर्खता है । जन्म से मरण तक का समय व्यक्ति का अपना है , यह चूक जाये तो फिर कुछ भी हाथ नहीं लग सकता ।

आलसी व्यक्ति समय को यूँ ही गवाँ देता है, अपने कार्य को कल पर छोड़ने वाला यानी भविष्य में करने की बात करने वाला ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेता है । अभी जो समय गुज़र रहा है क्या कभी इसको वापिस लाया जा सकता है ? यदि नहीं तो फिर हम किस प्रकार समय का सदुपयोग करने वाली बात भुला सकते हैं ? गाँधीजी न केवल धन की पाई-पाई का हिसाब रखते थे परन्तु समय के क्षण-क्षण का भी हिसाब रखते थे ।संसार में ऐसा कौन सा महापुरुष हुआ है जिन्होने समय की महत्ता को नहीं समझा हो ? समय को काटने भर की जिन्हें फिक्र हो वे कभी भी इसके मूल्य को नहीं समझ पाते हैं और अंत में हाथ मलते देखे जाते हैं ।

समय का सदुपयोग बुद्धिमान व्यक्ति ही कर पाते हैं अधिकतर लोग तो व्यर्थ ही समय गपशप, लड़ाई-झगड़े, अहंकार के प्रदर्शन , आडंबर आदि में बरबाद करते हैं ।विद्यार्थी पढ़ाई करने की जगह घंटों टीवी देखने में नष्ट करते हैं । कुछ लोग दूसरों की निंदा करने में समय गवाँ देते हैं ।

समय का सदुपयोग तभी सम्भव है जब हम इसकी आदत डाल लें । कुछ न करने से कुछ करना अच्छा है , इसकी जिन्हें समझ है वे दौड़ में बहुत आगे चले जाते हैं । समय को पकड़ कर रखना सम्भव नहीं है , यह तो भागा ही चला जाता है। अतः एक एक क्षण बहुमूल्य है समझकर उसका सदुपयोग करना ज़रूरी है ।

1 टिप्पणी:

हरिराम ने कहा…

अच्छी शिक्षा है।