बुधवार, 5 दिसंबर 2007

पढाई


कई लोग बारावी कक्ष के पढाई को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। मैं भी उन लोगों में से एक था लेकिन मिशिगन आने के बाद मेरी राय बदल गयी है। यह तो मेरे मूल विषय से तो अलग बात हो गयी।

मैंने बारावी कक्षा को बहुत महत्व नही दिया था और इसी लिये मेरे अंक मेरी इच्छा के अनुसार नही आये। खैर जो बीत गया वो बीत गया लेकिन मैं बहुत बार सोचता हूँ की अगर मैं ठीक तरह से पढ्ता तो उसका मेरी आज के ज़िंदगी में क्या परिणाम होता।

मेरा यह मानना है कि अगर हम एक साल के लिये मन लगाकर पढे तो हमारे मन में पढाई के लिये मानो एक अनोखी जगह बन जाती है। हम पढाई को कभी टालते नही और ‘आज करे सो अब कर’ को सिद्ध कर सकते हैं। परंतु पहला एक साल बहुत मुश्किल होगा क्योंकि इस समय में हमें हमारी बचपन से चली आयी बुरी आदतों को बदलना होगा।

यह बात मैंने खुद महसूस की है। अगर मैं कुच्छ चार दिन ठीक तरह से पढता हुं तो पाच्वें दिन की पढाई बहुत आसान लगती है। यह सिर्फ़ अच्छे आदत की बात है जो हमे खुद मैं डालनी है।

मैं यह आशा करता हूँ कि एक दिन सब लोग इस बात को जान जायेंगे और खुद को सुधारेंगे।

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