मंगलवार, 11 दिसंबर 2007

कोई प्रोफेस्सोर्स

प्रोफेस्सोर्स अपने विधार्तियों को मद्दत करते है। लेकिन कोई कोई प्रोफेस्सोर्स अपने कामों मे इतने फसे रहते है कि अपने विधार्तियों को कुछ मद्दत नही कर पते है। यह प्रोफेस्सोर्स अपने घर के बातों में इतने फसे रहते है। जैसे मेरे रिसर्च लैब के प्रोफेस्सर है। वह अपने स्टूडेंट्स को क़द्र नही करते है। मैं अभी इतनी दुखी हूँ। यह प्रोफेस्सर ने तो मुझे पागल ही कर दिया है। अब ऐसे लोगों को कुछ कह भी नही सकते हो क्योकि फिर कुछ उलटी सीधी बात कर्देंगे। मैं थक चुकी हूँ। मैं रिसर्च में एक हफ्ते में १२ घंटे काम करती हूँ। तब भी प्रोफेस्सर को कुछ फरक नही पढ़ता है। वह बस ये कहेते चले जाते है कि और काम करो। रिसर्च प्रोफेस्सर यह भूल जाते है कि मेरे और भी क्लास्सेस है। किया करूं? मैं अभी तीन दिन से नही सोई हूँ।

1 टिप्पणी:

उन्मुक्त ने कहा…

अरे, सोना तो बहुत जरूरी है।