बुधवार, 17 सितंबर 2008

जैन धर्म का महत्व

जैन धर्म में अहिंसा को परमो धर्म कहा गया है अर्थात हिंसा न करना परम धरम है। गांधी जी ने भारत में जो जीत दिलवाई वह अहिंसा धर्म का पालन करते हुए ही की थी। महावीर भगवान जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे उन्होंने प्रथम संदेष यह दिया कि ‘‘जियों और जीने दो’’ अर्थात खुद भी षान्ति से जियो और दूसरों को भी षान्ति से जीने दो।
जैन का अर्थ है जिसने स्वयं को जीत लिया और धर्म का अर्थ है जिस वस्तु का जो स्वभाव है उसे वेसा ही मानना धर्म है। जैन धर्म में दस धर्म का बहुत महत्व है इस दस धर्म को एक-एक दिन में बांटकर उसे भादव सूदी 5 से 14 तक विषेश मनाया जाता है इसमें प्रथम दिन में उत्तम क्षमा से षुरू होकर उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम षौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन एवं उत्तम बृहमचर्य है।
(राहुल जैन)

1 टिप्पणी:

Yatish Jain ने कहा…

बहुत अच्छा

जैन दर्शन के लिए कृपया यहाँ देखें
http://yatishjain.com/jaindarshan