सन 2002 मे गुजरात मे हुए हिंदु-मुसलमान दंगे हमारे देश पर धब्बा बनकर रह गए हैं। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक फरवरी एवं मई के बीच 1044 लोग मारे गए, परन्तु बहुत लोग मानते हैं कि इससे कई ज़्यादा लोग उस फसाद मे अपनी जान खो बैठे।
ये सब फरवरी, 2002 को गोधरा नाम के शहर मे शुरु हुआ। उस दिन 58 हिंदु कारसेवक साबरमती एक्स्प्रेस नामित रेल गाड़ी मे आग के कारण मारे गए। ऐसा आरोपित किया गया है कि यह आग कुछ मुसलमानों द्वारा आरंभिक की गई, परन्तु आज तक यह बात अदालत मे साबित नही हो पाई है।
रेल गाड़ी के जलने की खबर तेज़ी से गुजरात मे फैली। इस हादसे के कारण हिंदु और मुसलमान सम्प्रदाय के लोगों के बीच तनाव पैदा हुआ। अगले दिन अहमदाबाद में हिंदुओं ने जुलूस निकाला जिसका नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरी तरह समर्थन किया। इसी जुलूस के दौरान दंगे शुरु हुए। गुससे से गर्म हिन्दु लोगों ने मुसलमानों की हत्या करी। इसके कारण मुसलमानों मे भी गुससा बढ़ा और उन्होंने हिन्दुओं पर वार किया।
बहुत से पुलिस अफसरों ने आरोप किया है कि नरेंद्र मोदी ने उनको मुसलमानों की मदद न करने का संदेश दिया। जिन अफसरों ने इस आदेश का विरोध किया, उनका तुरंत ट्रांस्फर कर दिया गया। बी जे पी सरकार से दबाव की वजह से, इस बात को ज़्यादा महत्त्व नही दिया गया।
इसके बावजूद, नरेन्द्र मोदी ने अपने पद से इसतीफा नही लिया। हैरानी की बात यह है कि गुजरात के लोगों ने उनको दोबारा अपना मुख्यमंत्री चुना, और उस चुनाव के बीच पूरा भारत चुप रहा। हमारे देश को क्या हो गया है?
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1 टिप्पणी:
आप लोगो द्वारा हिन्दी में लिखने का प्रयास सराहनीय है.....बधाई स्वीकारें!
देखिये एक अच्छा आलोचक वह होता है, जो किसी भी घटना को निष्पक्ष दृष्टि से देखे. आपके लेख में निष्पक्षता का तनिक आभाव दिखा. देखिये, गोधरा की घटना एक बदनुमा दाग है हमारे देश पर. इस पर मुझे बेहद दुःख है. परन्तु इस तथ्य से इंकार करना, की रेल के डिब्बे में आग कैसे लगी, यह कुछ गांधारी द्वारा अपने आँखों पर काली पट्टी बाँधने जैसे काम है. माना कुछ तथ्यों को अदालत में साबित न किया जा सका हो, परन्तु इसका मतलब यह नही है की ऐसा हुआ ही नही? क्या यह बात झूठ है की उस डिब्बे में सिर्फ़ हिंदू कारसेवक सफर कर रहे थे? क्या यह बात झूठ है, की उनकी मृत्यु जिंदा जलने की वजह से हुई? क्या यह बात झूठ है, की सभी लोगो को डिब्बो के अन्दर बंद कर रखा गया था, तभी अधिकांश लगो अपनी जान बचने के लिए भाग तक न पाए?? क्या यह बात झूठ है की रेलगाडी को गोधरा में रुकवाया गया था? क्या यह बात झूठ है की इस घटना के सैकडो प्रत्यक्षदर्शी है??
अगर रेलगाडी को रोक कर कुछ स्थानीय मुसलमानों द्वारा आग नही लगाई गई थी, तो आपके पास इस घटना की और कोई व्यावहारिक व्याख्या है?? क्या डिब्बे में बैठे लोगो ने ख़ुद ही डिब्बे में आग लगा ली? क्या वो आग लगा कर भी बैठे रहे, यह देखने के लिए की जिंदा जलने में कैसा आनंद आता है? और जो लोग जलने के बाद भी बच गए, उन लोगो ने स्थानीय मुसलमानों पे झूठा आरोप लगा दिया, क्यों?
देखिये इस बात से इनकार करना, की रेलगाडी में आग कैसी लगी, पक्षवादी होने का संकेत देता है. एक सच्चा विश्लेषक वह होता है, जो सच कहने से नही डरता......यदि आप यह कह सकते है, की हिन्दुओ ने दंगो में मुसलमानों को मारा और काटा (जो की यथार्थ है), तो आपमें यह कहने का भी साहस होना चाहिए, की मुसलमानों ने गोधरा में रेलगाडी रोक कर डिब्बे में आग लगाई.
रही बात मोदी जी के चुनाव में जीतने की. मैं मोदी जी का समर्थक नही हूँ, मोदी जी का दंगो में जितना भी हाथ है, मैं उसकी निंदा करता हूँ. परन्तु अगर मोदी जी लगातार चुनाव जीत रहे है, तो उसके पीछे भी कोई कारण होना चाहिए. ज़रा गुजरात राज्य के मोदी सरकार के दौरान विकास का विश्लेषण करें, आपको पता चल जाएगा की मोदी सरकार ने गुजरात का किस हद तक विकास किया है. लोग विकास को पूजते है, थोथे धर्मनिरपेक्षता के उपदेशो को नही. आज अगर मोदी दुबारा चुनाव जीत रहे है, तो वह उस वजह से क्योकि उन्होने वाकई गुजरात का विकास किया, सिर्फ़ इस वजह से नही की वह सांप्रदायिक है........सिर्फ़ साम्प्रदायिकता की हवा भड़का कर कोई भी नेता ज़्यादा दिन तक शाशन नही कर सकता, जब तक की वह वाकई में कोई विकास न करे.
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