तीस साल पहले जब अमरीकी अंतरिक्ष यात्री चाँद को गए, तो वे पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने वाले पहले मानव बने। जब वे चाँद से वापस लौटे, तो उनसे पूछा गया कि पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखकर उनहे कैसा महसूस हुआ। उन सभी ने एक ही जवाब दिया, कि पृथ्वी अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण मे नाज़ुक हीरे के समान है, और मानव जाति को पृथ्वी के पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।
आज, उस घटना के तीस साल बाद, हम इस पृथ्वी के नाज़ुक पर्यावरण को बिना सोचे समझे नष्ट करते जा रहे हैं। प्रतिदिन, लकड़, काग़ज़, गोंद आदि उत्पादों को बनाने के लिए, हज़ारों वृक्षों को काटा जाता है। इसके कारण, बहुत से जीव-जन्तुओ का नाश होता है।
गाड़ियों एवं कारखानों मे ईंधन के उपयोग की वजह से दुनिया मे प्रदूषण बहुत फैल रहा है। इस प्रदूषण के कारण, पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। अब उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव मे बर्फ पिघल रही है और अगले 20-30 सालों मे समुद्री तटों पर स्थित शहरों मे बाढ़ आने की आशंका बढ़ रही है। बढ़ते तापमान की वजह से दुनियाभर मे आंधियों की आवृत्ति भी बढ़ रही है।
हम सभी पृथ्वी को चोट पहुँचा रहे हैं। हमारे कर्मों की वजह से, इस खूबसूरत दुनिया का धीरे-धीरे नाश हो रहा है। अब इस नाज़ुक हीरे की रक्षा करने का समय आ गया है।
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