सोमवार, 13 अक्तूबर 2008

सत्य

भारत देष में किसी समय एक राजा राज्य करते थे उनका नाम हरिषचन्द्र था उन्होंने बचपन से ही सत्य धर्म का पालन किया था एक समय देवताओं में आपस में बातचीत हो रही थी कि भारत में इस समय एक राजा राज्य कर रहा है जोकि सत्य धरम का पूर्णतया पालन कर रहा है एक देव को आष्चर्य हुआ उसने राजा की परीक्षा लेने की ठान ली उसने एक ब्राहम्ण का वेष धर कर राजा के पास आया और राजा से संकल्प कर दान देने का अनुरोध किया और पूरा राज्य दे दिया उसके बाद देव ब्राहम्ण ने शमषान में राजा को नौकरी दिलवा दी और रानी को शमषान के बगल में एक ब्राम्हण के यहां नौकरी दिलवा दी एवं राजा को कहा जो भी यहां शमषान में आयेगा उससे कर के रूप में एक कफन कपड़ा राज्य के लिए लेना होगा उसी शाम लड़के को साँप ने डस लिया और मृत्यु को प्राप्त हो गया। रानी बिलखते हुए उसी शमषान में पुत्र को लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंचती है और दाह संस्कार के लिए कहती है परन्तु राजा हरिषचन्द्र ने कहा कि दाह संस्कार से पूर्व तुम्हे एक कफन राज्य के लिए देना होगा रानी बिलखते हुए कहती है कि मेरे पास तो कुछ भी नहीं है उस पर राजा हरिषचन्द्र कहते हैं कि मैं अपने सत्य धर्म से पीछे नहीं हट सकता तुम्हे एक कफन का कपड़ा लाना ही होगा। तब अन्त में रानी अपनी साड़ी से आधी साड़ी फाड़कर देती है। इस प्रकार राजा हरिषचन्द्र की सत्यता पर देव प्रसन्न हो गया और उसने राजा का राज पाठ वापस देकर और बच्चे को जिन्दा करके वापस चला गया।

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