सोमवार, 27 अक्तूबर 2008

कम्पयूटर का ज़माना

आज के जमाने मे कम्पयूटर और इन्टरनेट के बिना जीना बहुत मुश्किल हो गया है। सुबह उठते ही लोग कम्पयूटर पर इन्टरनेट के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक मेल देखते हैं। पुराने दूरभाष की जगह नए ‘चल दूरभाष’ ने ले ली है। ये चल दूरभाष असल मे छोटे कम्पयूटर हैं। लोग इनके द्वारा इन्टरनेट पर जा सकते हैं, इनपर गाने सुन सकते हैं, और इनका कैमरा भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गाड़ियों के अंजन मे भी कम्पयूटर होते हैं जो ईंधन के प्रवाह पर नियंत्रण रखते हैं, ताकि अंजन की ईंधन क्षमता बढ़े। पाठशालाओं और विश्वविद्यालयों के छात्र कम्पयूटर के बिना काम चला ही नही सकते। आज कल परियोजना के लिए विज्ञापन ढूंढने के लिए पुस्तकालय का कम और इन्टरनेट का ज़्यादा प्रयोग होता है। गृहकार्य भी ज़्यादातर कम्पयूटर पर ही किया जाता है। यहाँ तक कि हिंदी भी कम्पयूटर पर लिखी जाती है। मुझे याद है कि जब मै 8-10 साल का था, ये सब दूर की बातें लगती थी। तब कम्पयूटर व्यापार के लेख और बच्चों के मनोरजन के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। आज, यदि कम्पयूटर का ज्ञान न हो, तो नौकरी मिलना भी मुश्किल हो जाता है। हम सचमुच कम्पयूटर के ज़माने मे प्रवेश कर चुके हैं।

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