मंगलवार, 25 नवंबर 2008

बर्फ

कमरे में बैठा मैं सोच रहा हूँ की मैं अगले पाँच महीने इस मौसम में कैसे बिताऊंगा| आज पहली बार बर्फ का असली रूप देखा और एक तगडे जवान मर्द होने के बावजूद मैं कक्षा जाने के लिए बिल्कुल उत्सुक नहीं था| अठारह साल सिंगापुर में रहने के बाद आप शायद मुझे ऐसे सोचने के लिए माफ़ कर देंगे| वहाँ तो तापमान पच्चिस डिग्री के नीचे कभी गिरता ही नहीं है| मुझे याद है, पिछले साल एक बार नवम्बर के महीने में अचानक तापमान बाईस डिग्री तक गिर गया था| मैं बढाकर बात नहीं कर रहा लेकिन बहुत से लोग कम्बल में चुप गए या फिर सुबह सुबह जाकट के निचे गर्माहट का मज़ा ले रहे थे| अभी आप अंदाजा लगा सकते हैं की मेरे लिए यहाँ जीना कितना कठिन है?

मगर दिल से पूछूँ तो शायद अलग सा जवाब मिलेगा| सफ़ेद, मुलायम, मन को बहलाने वाली बर्फ कभी देखी ही नहीं है मैंने| कहते हैं ज़िन्दगी में हर चीज़ का अनुभव एक बार तो लेना ही चाहिए और देखें तो असल में यह इतना भी बुरा नहीं है| मैं तो इस मौसम के लिए पूर्ण रूप से तैयार हूँ और अपनी मोटी चमड़ी की सहायता से दिसम्बर के अंत तक आराम से पहुँच जाऊंगा| दिन के कार्यों में शायद तब तकलीफ होगी, जब मैं बर्फ के कारन धरती को अपने पैरों से छू ही नहीं पाऊँगा या फिर जाकट पहने हुए भी बाहर नहीं जाना चाहूँगा| अभी के लिए मुझे मौसम का मज़ा ही लेना चाहिए क्योंकि बहुत से लोगों ने कहा है कि अगर इससे मुझे परेशानी हो रही है तो फरवरी में मैं आश्चर्यचकित रह जाऊँगा|

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