गुरुवार, 27 नवंबर 2008

होली -रंग और उमंग का त्योहार

भारत देश में मनाये जाने वाले धार्मिक व सामाजिक त्यौहारों के पीछे कोई न कोई घटना अवश्य जुड़ी होती हैं। रंगों का त्यौहार होली धार्मिक त्यौहार होने के साथ-साथ मनोरंजन का उत्सव भी है। है। होली के लिये प्राचीन कथा है कि दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को भगवान का नाम लेने की मनाही का आदेश दिया था। किन्तु उसके पुत्र प्रहलाद ने आदेश का उल्लघंन किया तो पिता ने उसकों मार देने के लिये अपनी बहन होलिका के साथ षंड़यन्त्र कर पुत्र को मारना चाहा। परन्तु प्रभु की कृपा से प्रहलाद का बाल बाका न हो सका। उसी दिन को प्रत्येक वर्ष होलिका दहन के रूप मंें मनाया जाता हैं। होली भारत का एक ऐसा पर्व है जिसे देश के निवासी सभी सहर्ष मानते है रंगों के इस अनूठे जस्न में हिन्दूओं केे साथ मूस्लमान भी शामिल होते है।

दूसरे दिन प्रातः आठ बजे से गली-गली में बच्चे बडे़ रंग एवं पानी से हुड़दंग शुरू कर देते है। सभी एक दूसरे पर रंग डालते है तथा बाद में गुलाल लगा कर गले मिलते हैं। तथा होली की बधाई देतें है। अच्छे पकवान तथा मिठाई स्वयं भी खाते है और दूसरे को खिलाते हैं तथा आपस में भी मिठाई का अदान प्रदान करते हैं

वृद्ध लोग भी इस त्यौहार पर जवान हो उठते हैं। कई लोग भांग का सेवन करते है। उनके मन में उंमग व उत्सव का रंग चढ़ जाता हैं वे आपस में बैठकर गप-शप व ठिठोली में मस्त हो जाते हैं तथा ठहाके लगा कर हॅसते है। अपराहन दो बजें तक फाग का खेल समाप्त हो जाता हैं लोग नहा धोकर शाम को मेला देखने चल पड़ते है। अन्तिम मुगल बादशाह अकबरशाह सानी और बहादुर शाह जफर खुले दरबार में होली खेलने के लिये प्रसिद्ध थें।

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