यूगोस्लानिया के स्कोपजे नामक एक छोटे से नगर में मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। बारह वर्ष की अल्प आयु में इन्होने अपने जीवन का उद्देश्य सोच लिया था। मानव का प्रेम एक ऐसी सर्वोतम भावना है जो उसे सच्चा मानव बना सकती है। मानवता के प्रति पे्रम को देश, जाति या धर्म की परिधि में नही बाॅधा जा सकता है। व्यक्ति के मन में यदि सच्ची ममता, करूणा की भावना हो तो वह अपना जीवन सेवा में समार्पित कर देता है विश्व में मानव की निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाली अनेक विभुतियों में से मदर टेरेसा सर्वोच्च थी।
अठ्ठारह वर्ष की आयु में नन बनने का निर्णय कर लिया अनाथ तथा विकलांग बच्चों के जीवन को प्रकाशवान करने के लिए अपनी युवावस्था से जीवन के अंिन्तम क्षणों तक उन्होने प्रयास किया सन् 1997 में उन्होने इस दुनिया से बिदाई ले ली।
पीड़ितो की तन-मन से सेवा करने वाली मदर टेरेसा आज हमारे बीच नही है लेकिन हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए अनाथ, असहाय, बीमारों की सेवा का संकल्प लेना चाहिए।
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें