शनिवार, 8 नवंबर 2008

कम्प्यूटर-आज की आवश्यकता

20वीं सदी मंे कम्प्यूटर क्षेत्र मंे आयी क्रान्ति के कारण सूचनाआंे की प्राप्ति और इनके संसाधन मंे काफी तेजी आयी है। इस क्रान्ति के कारण ही हर किसी क्षेत्र का कम्प्यूटरीकरण संभव हो पाया है। स्थिति यह है कि माइक्रोप्रोसेसर के बिना अब किसी मशीन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पिछले चार दशकांे में कम्प्यूटर की पहली चार पीढ़ियाँ क्रमशः वैक्यूम ट्यूब तकनीकी, ट्राँजिस्टर व पिं्रटेड सर्किट तकनीकी, इंटीग्रेटेड सर्किट तकनीकी और वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड तकनीकी पर आधारित थी। चैथी पीढ़ी की तकनीकी मंे माइक्रोप्रोसेसर का वजन कुछ ग्राम तक ही रह गया। आज पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर तो कृत्रिम बुद्धि वाले बन गए हैं। वास्तव मंे कम्प्यूटर एनालाॅग या डिजिटल मशीनंे ही हैं। अंकांे की एक सीमा मंे भौतिक भिन्न मात्राआंे में परिवर्तित करने वाले कम्प्यूटर एनालाॅग कहलाते हैं। जबकि अंकांे का इस्तेमाल करने वाले कम्प्यूटर डिजिटल कहलाते हैं। एक तीसरी तरह के कम्प्यूटर भी हैं, जो हाइब्रिड कहलाते हैं। इनमंे अंकांे को संचय और परिवर्तन डिजिटल रूप मंे होता है। लेकिन गणना एनालाॅग रूप मंे होती है।
विज्ञान क्षेत्र मंे सूचना प्रौधोगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति मंे हमंे अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की है। इनमंे मोबाइल फोन, कम्प्यूटर तथा इन्टरनेट का विशिष्ट स्थान हैं। कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र कैल्क्युलेटर से जुड़ा है। इससे जहाँ कार्य करने में समय कम लगता है, वहीं मानवश्रम मंे भी काफी कमी आयी है।
वर्तमान मंे कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरांे को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है। भवनांे, मोटर-गाड़ियांे, हवाई जहाज आदि के डिजाइन तैयार करने मंे कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्भुत कमाल कर दिखाया है। इसके माध्यम से करोड़ांे मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिये जा रहे हैं। साथ ही इन चित्रांे का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा किया जा रहा है। कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश-विदेश को जोड़ने को ही इन्टरनेट कहा जाता है।

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