शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

मुम्बई पर हमला: भाग 2

सुबह चार बजे तक थल सेना के फौजियों ने बहुत से बंधकों को रिहा कर लिया, परन्तु इस दौरान तकरीबन 100 बंधक मारे गए। हैरानी की बात यह है कि थल सेना के सिपाही इन आतंकवादियों को दो दिन तक नही पकड़ पाए। मेरी राय मे इसकी दो वजह हो सकती है; पहली कि संचार माध्यम के कारण आतंकवादियों को समय से पहले ही फौजियों की चाल का ज्ञान था, और दूसरी वजह हो सकती है कि सारे होटल इतने बड़े थे कि आतंकवादियों को वहाँ ढूँढना गेहूँ के खेत मे सूई को ढूँढने के समान माना जा सकता है।
27 नवंबर को दोपहर तक 200 बंधकों को ताज होटल से रिहा कर लिया गया था और ओबराय और ट्राईडेंट होटल मे बम विस्फोट हो चुके थे। एक आतंकवादी ज़िन्दा पकड़ा गया था। रात के दस बजे ताज होटल मे दोबारा बम विस्फोट हुआ। 28 नवम्बर को नारिमन हाऊस मे तीन विस्फोट हुए जिनके कारण सभी बंधक मारे गए (केवल एक छोटा बच्चा बच गया)। 29 नवम्बर को आतंकवादियों के साथ घमासान मुठभेड़ के बाद फौजी विजयी हुए।
इस घटना के बाद पूरे भारत मे भय फैल गया है। जनता सरकार से बहुत दुखी है। चूंकि पकड़े हुए आतंकवादी ने पाकिस्तान से होने का दावा किया है, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत ही बढ़ गया है। वाकई भारत मे स्थिति अभी बहुत ही नाज़ुक है।

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