मैं अपने माता-पिता एवं भाई बहन के साथ राजधानी एक्सप्रेस मंे बैंगलौर जा रहे थे। राजधानी टेªन मंे ऐसे भी सफर बहुत अच्छा लगता है रास्ते भर खाने पीने के लिए पूछते रहते हैं और यदि टेªन मंे अच्छे लोग मिल जाते हें तो सफर का आनन्द दुगना हो जाता है हमारे कोच में बढ़े, बच्चे, हम उम्र सभी लोग थे पेरेन्ट्स अपनी उम्र के साथ बात कर रहे थे मेरे सामने की सीट पर एक लड़की अकेले सफर कर रही थी जोकि मेेरे शहर की तथा मेरे घर के पास ही रहती थी मैं उससे पहले कभी नहीं मिला था रास्ते भर हम लोग अपने स्कूल कालेज की बातें करते रहे। स्कूल मंे किस तरह खेलते थे। छोटी-छोटी बातंे, यादंे जीवन के सफर मंे किस प्रकार आनन्द देती है। इस यात्रा मंे मैंने प्राप्त किया।
दूसरे दिन हम लोग बैंगलोर पहुँच गए वहाँ पर हम लोग वृन्दावन गार्डेन भी गए जोकि वहाँ का प्रसिद्ध गार्डेन है। वहाँ पर खूब इन्ज्वाय किया फिर हमलोग शांिपंग काम्पलैक्स भी गए। दूसरे दिन मैसूर के लिए रवाना हुए। और वहाँ का राज महल एवं कई स्थल देखे। वहाँ के सभी स्थल देखने योग्य हैं। उसके बाद हम लोग गोवा चले गए। जहाँ पर समुद्र का खूब आनन्द उठाया। वहाँ से हमलोग मुंबई लौटे रास्ते में टेªन टर्मिनलांे से होकर गुजर रही थी वहाँ का नजारा देखने योग्य था।
बुधवार, 10 दिसंबर 2008
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1 टिप्पणी:
यदि हिन्दी सीखनेवालों का यह चिट्ठा है, तो निश्चित ही यह सुंदर यात्रा वर्णन है.
बधाई हो. लिखते रहें.
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