शनिवार, 6 दिसंबर 2008

मनोरंजन

दिनभर कार्य करने से शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक थकान भी हो जाती है। इसके अलावा लगातार कार्य करने से आदमी कार्य से उकता जाता है। थकावट व उकताने से निजात पाने के लिए मनोरंजन के साधन होना जरूरी हैं। मन के स्वस्थ विकास के लिए भी मनोंरजन की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन सीमित थें, लेकिन वर्तमान वैज्ञानिक युग मे मनोंरजन के साधन अधिक हो गये है। इनमें सबसे नवीनतम मनोरजंन का साधन इंटरनेट भी है।
हर एक व्यक्ति की रूचि अलग-अलग होती है। वह अपनी रूचि के अनुसार ही मनोरंजन करता है। मनुष्य जब काम करते-करते थक जाता है तो उसे अपने कामों से अरूचि होने लगती है। इस अरूचि को विश्राम या फिर मनोंरजन से दूर किया जा सकता है। मनोरंजन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। मन का रंजन अर्थात मन का आनन्द। मनोरंजन को मनोविनोद भी कहा जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं: