सोमवार, 1 दिसंबर 2008

मुम्बई धमाका

मुम्बई धमाका, दिनांक 28 नवम्बर 2008 को निदोर्षों का मारा जाना, यह पुनः साबित करता है कि सरकार खुद ही नहीं चाहती है कि इस समस्या का समाधान हो उनके मंत्रीवर ही जब यह बोलते हैं कि आतंकवादी बिगड़े हुए भाई बन्ध है तथा बड़े शहरों में तो यह होता ही रहता है तो आतंकवाद को तो बढ़ावा मिलेगा ही। आतंकवादी कभी किसी के भाई एवं मित्र नहीं होते हैं। आतंकवाद का अर्थ ही यही है कि हिंसा करना, फैलाना जिससे उनके द्वारा किये गये कृत्य से मानव भयभीत रहे ओर देश का विकास रूक जाये।

आतंकवाद को तो वैसे परिभाषित करना सरल नहीं है। क्योंकि कोई पराजित देष स्वतन्त्रता के लिए शस्त्र उठाता है तो वह विजेता के लिए आतंकवाद होता है। वर्तमान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में विश्व भर का जाने अनजाने में सहयोग हो रहा है।

मुम्बई बम धमाका 59 घण्टे तक मात्र 10 आतंकियों के द्वारा किया गया बहुत ही बड़ी आतंकी हमला था अगर इस आतंकवाद का निराकरण बहुत सख्ती से नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के सारे शहर एवं सम्पूर्ण विश्व इस आग की लपेट में घिर जायेगा।

धन बुरा नहीं है परन्तु धन का उपयोग किस प्रकार किया जाय उस पर निर्भर करता है जैसे एक साधु के पास धन आयेगा तो वह आत्म कलयाण के लिए होता है व्यापारी के पास धन आता है तो व्यापार बढ़ाने के लिए अधिक होता है। नेता के पास अधिक धन आने पर स्वयं के लिए उपयोग होता है और आतंकियों के पास धन आता है तो उसका उपयोग सर्वथा दुरूपयोग के लिए होता है हिंसा के लिए होता है मानव जाति को डराने एंव मारने के उपयोग में होता है।

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