शेयर बाजार एक अनिश्चितता का बाजार है इस बाजार में वस्तुओं का आदान-प्रदान नहीं होता है बल्कि यहां पर कम्पनीयों के शेयर लिस्टेड किये जाते हैं। जिससे कम्पनीयां सीधे तौर पर जनता से जुड़ सके तथा शेयर देकर रूपया ले सकें और उन्हें जनता का भागीदार बनाया जा सके, इससे कम्पनीयों पर भी ब्याज का बोझ न पड़े और जिससे देश का विकास हो सके।
परन्तु शेयर बाजार सच पर आधारित नहीं होता है बल्कि अफवाहों के ऊपर चलता रहता है। नेताओं की बयानबाजी के ऊपर भी चलता है नेताओं की बयानबाजी का विश्शण किया जाता है और उसी से बाजार ऊपर नीचे होता रहता है बहुत सी कम्पनीयां घाटे में होने के बावजूद शेयर उसका ऊपर रहता है जबकि किसी कम्पनी का अच्छा रिजल्ट आने पर भी उसका शेयर नहीं बढ़ता है कई कम्पनियां बाजार से रूपये उगाहने के लिये कुछ साल तक अच्छा प्राॅफिट दिखाती रहती है परन्तु रूपये उगाहने के बाद घाटा दिखाने लगती है, इसमें सरकार के अफसरों का भी सहयोग मिलता रहता है।
यह बजार जोखिम से भरा हुआ है तथा कुछ स्वार्थी तत्वों के कारण अपनी गरिमा खोने लगता है तथा कुछ कम्पनियां भी इस कार्य में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो सकती हैं।
सोमवार, 8 दिसंबर 2008
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