अमरीका मे तीन साल लगातार रहने से मेरी हिन्दी काफ़ी बिगड़ गई थी। हाँ, मै अपने दोस्तों से हिन्दी मे ज़रूर बातचीत करता था, परन्तु मेरी भाषा की शुद्धता, जिसपर मुझे अधिक गर्व था, कहीं गुप्त हो गई थी। मेरे मुताबिक इसकी वजह है कि मिशिगन विश्वविद्यालय के भारतीय विद्यार्थी भारत के हर कोने से हैं। भारत के अलग-अलग प्रांतों मे हिन्दी बोलने का ढंग एक समान नही होता। तीन सालों के दौरान, मैने अंजान मे हिन्दी बोलने के अलग ढंग अपनी भाषा मे अपना लिए।
फिर सितंबर मे मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लिया। सच कहूँ तो मैने सोचा ही नही था कि चार महीनों मे मेरी हिन्दी मे ज़्यादा सुधार आएगा। परन्तु, आज मुझे साफ़ दिख रहा है कि हिन्दी लघु कथाएं पढ़ने से और ब्लाग लिखने से मेरी हिन्दी मे काफ़ी सुधार आया है। शुरू-शुरू मे मुझे ब्लाग लिखने मे काफी समय लग जाता था, परन्तु अब, मै कम समय मे 200 शब्द का ब्लाग लिख लेता हूँ।
मै इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूँ और लगातार इंजीनियरिंग पढ़ने से मन सूख जाता है। हिन्दी पढ़ने से मुझे हफते मे कुछ घंटों के लिए इंजीनियरिंग से छुटकारा मिल जाता है। देखा जाए तो मै बहुत ही खुश हूँ कि मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लेने का फैसला किया।
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1 टिप्पणी:
बहुत खूब - अपनी संस्कृति से जुडे रहने में ही भलाई है. लगे रहिये! :)
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