गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009

मेरा पहला प्यार !

आज मैं सुबह सुबह कुछ कुछ होता है नमक फ़िल्म देख रही थी. उसमे सब अपने पहले प्यार की बातें कर रहे थे . इससे मैं भी अपने पहले प्यार के बारे में सोचने आर मजबूर हो गई. मैं ६ साल की थी जब एक दिन मैं यूँही घर बैठे दूरदर्शन देख रही थी . तभी मेरे मामा एक बड़ी सी थैली घर लाये. वह थैली बिल्कुल खाली लग रही थी. जब मैंने उसे खोला तो देखा उसमें दो छोटे रूई के गोले जैसे नन्हे मुन्ने से खरगोश के बच्च्रे थे.जब मैंने उन्हें थैली से निकाला तो एक सीधे रसोईघर में जा कर सामान गिराने लगा, पर दूसरी एक कोने में जाकर बैठ गई. उस पल से मुझे उससे प्यार हो गया ! मैंने उसे अपने लिए रख लिया और नटखट वाला अपनी दीदी को दे दिया. ३ सालों तक मैंने उसका बहुत ख़याल रखा , और वो भी मुझे बहुत चाहने लगी थी. जब में पाठशाला से घर वापस आती तो वह उछलते कुद्द्ते दरवाज़े पर मेरा स्वागत करने आती थी. हर रात वह चुपके से मेरी कम्बल के नीचे आकर मेरे साथ सो जाती. उन ३ सालों के बाद हम भारत छोड़ कर जब शारजाह जाने लगे तो मुझे दोनों खरगोश को अपनी अध्यापिका को देना पडा. पहले प्यार को खोने का दर्द तो आप जानतें ही होंगे. महीनो तक मैं हर रात उसे याद करके सोती थी और आज भी कभी कभी मुझे वो बहुत याद आती है.

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