बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

यहाँ के पुस्तकालय

कल रात की ही बात है जब मैं मिशिगन विश्वविद्यालय के उन्देर्ग्रदुएत पुस्तकालय गई थी | वैसे तो मैं कई बार पुस्तकालय जा चुकी हूँ परन्तु मिशिगन में यह मेरी पहली बार थी | भारत में पले बड़े होने के कारण मुझे हमेशा ऐसी तस्वीर दिखाई गई थी जहाँ पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहाँ कोई बात नही करता एवं चुप चाप अपना काम करता है और किताबें पड़ता है | शायद मुझे पुस्तकालय का यह बिल्कुल अलग झलक कभी न मिलता अगर मैं कल रात इधर के पुस्तकालय गई न होती | इस पुस्तकालय के तीन मंजिल थे एवं अन्दर एक भोजन करने का स्थान भी था| आज तक मैंने कभी ऐसा पुस्तकालय नही देखा था जहां अन्दर कैफे होता है अवं जहाँ लोग ज़ोर ज़ोर से बातें करते हैं| मैं भवन के पहेली मंजिल पर थी और चुप चाप अपना काम करने की कोशिश कर रही थी परन्तु ऐसा करना नमुमकिन था क्यूंकि मेरे चारों ओर लोग केवल बातें कर रहे थे | कोई अपनी पिछली रात के बारे में बता रहा था तो कोई कल की परीक्षा के बारे में बात कर रहा था| एक चीज़ तो मुझे माननी पड़ेगी, की यहाँ आकर अगर हम लोगों की बातें सुनते हैं तो हमारा मनोरंजन ज़रूर हो सकता है | मुझे एक चीज़ समझ में नही आई | यहाँ लोग अपने कमरे में इस लिए नही पड़ते क्यूंकि उन्हें लगता है की ऐसा करने से वे ठीक तरह से मन लगाकर नही पड़ पाएंगे लेकिन पुस्तकालय आने का मतलब अगर तीन घंटे में एक घंटा पड़ने का है तो मुझे यहाँ आने का कोई फायदा नही दिखाई देता | यह कहना सच ही होगा की यहाँ के पुस्तकालय का वातावरण भारत के पुस्तकालयों के वातावरण से बिल्कुल अलग है |

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