गुरुवार, 22 जनवरी 2009

"क्या सही और क्या ग़लत?"

क्या आप जानते हैं सही और ग़लत में अन्तर? क्या कभी आपका सही दूसरों को ग़लत और दूसरों का सही आपको ग़लत लगा है? अगर आपका जवाब 'हाँ' नही है तो वह बेशक एक सफ़ेद झूठ होगा | हम अपनी ज़िन्दगी का कितना समय दूसरों के सही-ग़लत को पकड़ने में लगा देते हैं | परन्तु सोचने वाली बात यह है की यह सही-ग़लत का ज्ञान हमें वैसे तो बचपन में अपने माता पिता या किसी धार्मिक किताब या फिर किसी कानूनी नियम के द्बारा शुरुआत में मिली थी परन्तु वक्त के साथ साथ हमारी ख़ुद की भी अलग सोच बनने लगी, वही सोच बदलने लगी और हालात भी बदलते गए , ऐसे में सही ग़लत का फ़ैसला किस तराजू में तोलकर किया जाए? इन सवालों के जवाब बेशक न आपके पास हैं और न ही मेरे पास | इस बात को यह कहके दफनाना सही होगा की हम इस दुनिया में दूसरों पर टिप्पणी करने नही आए हैं | सुनने में यह बात काफ़ी सरल और साफ़ सुनाई देती है परन्तु आप और मैं यह अच्छी तरह जानते हैं की ये सही ग़लत का दलदल कितना गेहरा और भयंकर है , अब क्या आप उसमे पड़ना चाहेंगे? नही ना ?

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