मंगलवार, 27 नवंबर 2007

भारत के महान ग्रंथ, भाग 2: महाभारत

महाभारत भारत का एक ऐतिहासिक ग्रंथ है। महाभारत की पावन कथा महर्षि वेद व्यास ने लिखी थी। जीवन में विरोध भाव, द्वेष, क्रोध और ईर्ष्या से सफलता कभी प्राप्त नहीं हो सकती। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण महाभारत है।

सम्राट भरत, राजा दुष्यंत और ऋषि-कन्या शकुन्तला के पुत्र थे। भरत बड़े पराक्रमी, वीर, उदार और विद्वान थे उनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। उन्हें अपने पुत्रों में से कोई ऐसा योग्य पुत्र दिखाई नहीं दिया, जिसे अपना उत्तराधिकारी बना सकें। अतः उन्होने ऋषि भरद्वाज के ज्येष्ठ पुत्र को अपने बाद राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया, और इसी के साथ भारत में प्रजातंत्र का प्रारंभ हुआ।

कई वंशज बीतने के पश्चात भरत के वंश के ही राजा शांतनु हुए जो बहुत गुणवान, वीर और प्रजापालाक थे उनके पुत्र देवरथ थे। उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूर्ति के लिए अविवाहित रहने की भीषण प्रतिज्ञा की। इस कारण उनका नाम भीष्म पड़ गया। आगे चलकर वे भीष्म पितामह के नाम से भी जाने गये। महाराज शांतानु और सत्यवति से दो पुत्र चित्रांगद और विचित्रवीर्य हुए चित्रांगद बहुत जल्दी युद्ध में मृत्यु को प्राप्त हो गये। विचित्रवीर्य की दो रानियाँ थीं। अंबिका और अंबालिका। कुछ समय पश्चयात विचित्रवीर्य निहसांतान ही मृत्यु को प्राप्त हो गये।

रानी सात्यवती के बुलाने पर महर्षि वेद व्यास आए। वे बहुत ही कुरुप थे। वेद व्यास अपने योग-बल से कुछ भी कर सकते थे। इसलिए जब अंबिका के कक्ष में वे गये, तो उनका कुरुप चेहरा देखकर उनकी आखें बंद हो गयी। इस कारण उनका पुत्र धृतराष्ट्र, नेत्रहीन पैदा हुआ। उसके बाद वेद व्यास अंबालिका के कक्ष में गये, तो अंबालिका का चेहरा भय से पीला पड़ गया। उनके पुत्र बीमार रहते थे और उनका नाम पांड़ू पड़ गया। तीसरा पुत्र दासी से हुआ जो बहुत ही बुद्धिमान और विवेकी था, उसका नाम विदुर रखा गया। धृतराष्ट्र से सौ पुत्र और एक कन्या का जन्म हुई और पांड़ू से पाँच पुत्र हुए। धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव कहला और पांड़ू के पाँचो पुत्र पांडव कहलाए।

पांडवों का सत्य पर विश्वास था। कौरवों अहंकारी और दुराचारी थे। वे छल कपट में विश्वास करते थे। पांडवों और कौरवों में राज्य के लिये युद्ध हुआ, परंतु अंत में जीत पांडवों की हुई और कौरवों की विशाल सेना को हार का मुँह देखना परा। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि असत्य पर सत्य की विज्य हुई। महाभारत कौरव-पांडव युद्ध का प्रतिफल था। महाभारत हमें धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है।

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