गुरुवार, 22 नवंबर 2007

थान्क्स्गिविंग

इस साल मैं अपने थान्क्स्गिविंग छुटिया कि लिये अपने पहले साल के रूममेट के घर चला आया। कालेज आने के करीबन एक महीने पहले मुझे पत्र द्वारा मेरे रूममेट के बारे में बताया गया था। तब मुझे यह बात जान कर बहुत ख़ुशी हुयी थी कि वह हिन्दुस्तानी था। मुझे आश्चर्य भी हुआ क्युकी मैंने किस्सी कालेज के किसी भी आवेदन-पत्र में यह नहीं लिखा था कि में हिन्दुस्तानी हूँ या में हिन्दुस्तानी रूममेट पसंद करूँगा । कालेज आने पर मैं जब विक्रम से पहले बार मिल तो मेरी उसके परिवार से भी मुलाक़ात हुई। मेरे माता पिता उसके परिवार से मिलकर ख़ुशी हुई सात ही सात मानसिक शांति भी मिल्ली यह जानकार कि में यहाँ घर से दूर एक घर प्राप्त कर सकूंगा। इन दो सालो मे हमारे इस अरमान को मैंने बिल्कुल सच पाया हैं - मैं विक्रम के परिवार के घर हर सेमेस्टर आता हूँ और उनके साथ दो-तीन दिन के लिये रहता हूँ। वे मेरे लिए मेरे परिवार समान है और पता नहीं विक्रम और उसके परिवार के प्यार और दोस्ती कि बिना मेरा कालेज का जीवन पुरा कैसे होता ।

कोई टिप्पणी नहीं: