हमारे उपनिषदों में कहा गया है: “सत्यमेव जयते” अर्थात, सत्य की जीत होती है। झूट अन्त में पराजित होता है। जिन लोगों नें सत्य की विजय के लिए कष्ट उठाये, वे लोग हमारे लिए आज भी पूजनीय हैं। बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हमें सदैव सत्य बोलना चाहिये। माता, पिता और अन्य लोग भी हमें यही शिक्षा देते हैं। कहा भी जाता है कि सत्य से बड़ा कोई तप नहीं, और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं। जिसके हृदय में सत्य का वास होता है, उसके हृदय में ईश्वर का वास होता है।
सत्य और असत्य का युद्ध हर युग में, किसी न किसी रूप में, चलता रहता है। जो सत्य के आदर्शों में विश्वास करता है, वह रास्ते में आने वाली हर कठिनाई का सामना करने में सक्षम होता है। कुछ लोग ही बलिदान देतें हैं, परन्तु उसका लाभ सारे संसार को मिलता है।
गाँधी जी ने संसार में सत्य के एक नये युग की स्थापना की थी। गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया, और उसपर चलने के लिए लोगों को प्रेरणा दी। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही चलकर उन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाई। उनके भाषण का असर लोगों पर जादू जैसा होता था, इसीलिए उन्हें लोग महात्मा गाँधी और बापू के नाम से पुकारते थे।
इस प्रकार हम देख रहें हैं कि सत्य में बहुत शक्ति है। इस राह पर चलकर हम बड़े से बड़े कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, और अपना तथा देश का कल्याण कर सकते हैं। आज भी सत्य और आदर्शों की आवश्यकता है। तभी हम स्वस्थ और शक्तिशाली समाज का निर्माण कर सकते हैं।
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