परिवर्तन प्रकृति का नियम है। एक ॠतु जाती है तो दूसरी उसका स्थान ग्रहण कर लेती है। यह क्रम चलता रहता है। कभी पतझड़ का मौसम आता है तो कभी बहार का, कभी गर्मी का मौसम आता है, तो कभी सर्दी का। इस प्रकार समय के साथ बदलाव आता रहता है।
जिस प्रकार मौसम बदलते हैं, उसी प्रकार हमारी मान्यतायें भी बदलती हैं। आज हम जिस बात को सही मानते हैं, कल वही गलत साबित हो जाती है। हर क्षेत्र में बदलाव आता है। नई मान्यतायें पुरानी मान्यताओं का स्थान ग्रहण कर लेती हैं। परिवर्तन चाहें हमारे रहन-सहन में हो, औषधि के क्षेत्र में हो या विज्ञान के क्षेत्र में हो, हम अपनी आवश्यकतानुसार, अपनी सोच को बदलते रहते हैं।
1 टिप्पणी:
कवि कहना क्या चाह रहे हैं यो बताएंगे?
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