मंगलवार, 27 नवंबर 2007

एड्स :एक आधुनिक दानव

पिछले कई वर्षों से एड्स एक भयावह शब्द बनकर पूरी दुनिया के लोगों को भयभीत कर रहा है। तो यह उचित ही है कि इसे आधुनिक दानव माना जाये। दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जो इसके दानवी प्रहार से बचा हुआ हो। यह दानव कभी अज्ञात रूप से आक्रमण करता है तो कभी कुछ लोग अपने कर्मों से इसे दावत देते हैं। इसके प्रचार व प्रसार में अज्ञानता और अशिक्षा ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैसे तो इस रोग का जन्म पश्चिम के समृद्ध देशों में हुआ है परन्तु इस वैज्ञानिक युग में जब संसार छोटा होता प्रतीत होता है , कुछ भी सीमित नहीं है। अतः सावधान न रहने पर कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है।

एड्स के कीटाणु जब शरीर में प्रवेश करते हैं तो तुरन्त कुछ पता नहीं चलता है क्योंकि यह शरीर पर बहुत धीरे-धीरे असर करता है । वास्तव में यह कोई रोग नहीं है बल्कि इससे शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है । ऐसी स्थिति में साधारण से साधारण रोग भी बहुत घातक होता है।

एड्स का अभी तो कोई इलाज सामने नहीं आया है। हालाकि इसका प्रभाव कम करने हेतु कुछ दवाएँ उपलब्ध हैं परन्तु ऐसी कोई दवा विकसित नहीं हुई है जो व्यक्ति को रोग से मुक्त कर सके। ऐसी स्थिति में इससे बचने का एक मात्र उपाय सावधानी है। यदि समाज का हर व्यक्ति सवधान रहे तो एड्स का फैलाव पूरी तरह रुक सकता है तथा हम इस आधुनिक दानव को पछाड़ सकते हैं ।

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