रविवार, 25 नवंबर 2007

बुरे लोग

कोइ लोग के भावना में रह है कि सिर्फ उनके लोग अच्छे है जैसा कोइ देसी लोग सोच ते है कि सिर्फ दुसरे देसी ही अच्छे है और कोइ और अच्छा हो ही नही सकता है क्या यह लोग बुरे है या इन लोगो को पता नही है कि सब लोग लोग ही होते है कोई एक से ऊपर नही है और कोई किसी से नीचे नही है यह भावना कहाँ से आती है? मैंने अपनी अच्छी खासी ज़िंदगी अमरीका मी गुजा रही है और इस लिए मुझे लगता है सब लोग एक्स है क्योकि सब किसम के लोग यहाँ मिलेंगे। कभी भी मुझे लगा नहीं कि मुझे गोरे लोग अलग किसम से बात कर रहें है। मैंने भी कभी उनसे अलग तरीके से बात नही करी। अफ्रीकन अम्रिकांस से भी मैंने इक्दम उसी तरीके से बात करी है जसे मैं और सब से बात कर टी हूँ। और चीनी लोगो से भी वोही कर टी हूँ। मैंने देखा है कि जो लोग चोतेपन से यहाँ रह रहें है वह लोग मेरे तरें है। जो लोग दुसरे देशों से आए है उन लोगो को लगता है कि उनके लोग ही अच्छे है। यह बहुत बुरी बात है। लेकिन क्या यह लोग सच में बोरें है या इन लोगो को जो एक्सपोज़र मुझे मिल है इन को नहीं मिल और इसलिए ऐसे है?

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