सियाटेल शेहेर से में पिछले महीनों में जुड़ता गया | शेहेर के धुनों के साथ बहता गया | एक ही महीने में आदत सी पड़ गयी थी | काम बिल्कुल ठीक चल रह था और काम के बाहर भी जीवन चल रही थी | कुछ खास नही किया करता इन रोज़ी चीजों के अलावे परन्तु व्यस्तागी मैं मन सा लग गया था | मेरे ख्याल से इस लिए, क्योंकि कुछ ही वक़्त मैं मेरी माता जी और बहिन भी सियाटल आने का प्रोग्राम मुज्से मिलने के लिए बना रहे थे | उनका यह पहुँचने का ४थ् ऑफ़ जुलाई के आस पास का था पर मध मई से ही में ने बहुत से घूमने फिरने के प्रोग्राम बनाए |
माँ और बहिन दोनो ही हवाई अड्डा २८ तारिक के शाम को पहुंच रहे थे | उनके पहुँचते ही मैंने सियाटेल के सबसे मशहूर स्पस नीडल मैं रात का खाना खाने का बंदोबस्त कर लिया था | प्लेन से उतर कर दोनो ही थके हुए से थे पर सियाटेल का पहला झलक दिकते ही दोनो उत्तेजित हो उठे | स्पस नीदेल कुछ १२०० फ़ुट ऊँची टावर है जिसके ऊपर बल्कोनी है जहाँ पर्यटक ऊपर से सुंदर सियाटेल को देखने के लिए आते है और तस्वीरे भी खीचते है | उसी बल्कोनी के निचे एक बहुत ही निराला रेस्तौरांत है जो गोल - गोल घूमता है | आप एक जगहें पर बैठ कर स्वादिष्ट खाना खाते खाते सियाटेल का व्यू का आनंद ले सकते है | हम वह पर बहुत अच्छे समय पर गये, हमारे टबेल मिलने के एक घंटे मैं सूर्य आस्थ होने वाला था और उसे देख कर मेरी माता जी और बहिन को बहुत अच्छेलगा |
खाना खतम करने के बाद हम वापस एवेरेट आ गये और सब लोगों का रहने का इन्तिजाम मेरे ही अप्पर्त्मेंट मैं ही था | मेरी माता जी खास कर कि अप्पर्त्मेंट देखना चाहते थी ये कह कर कि बेटे का पहला घर है | सोते सोते सियाटेल में १२ बज गये, यही मिशिगन के ३ बजे सुबह थी और सब बहुत ही थके हुए थे और घोर बेच कर सो गये |
बुधवार, 7 नवंबर 2007
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