शनिवार, 3 नवंबर 2007

मेरा फीऊचार

मै स्कूल में पढ़ रही हूँ डाक्टर बनने केलिए। लेकिन मुझे नहीं पता अगर मै सच में डाक्टरी करना चाहती हूँ। लेकिन मुझे यह करना पड़ेगा क्योकि मेरे माँ और पापा बहुत चाहते है कि मै यह करूं। मुझे डाक्टरी के क्लास्सेस अच्छे तो लगते है लेकिन मुझे फिसिक्स और मैथ्स भी अच्छे लगते है। मै क्या करूं? बहुत मुश्किल में पढ़ गयी। मुझे एम्काट्स भी लेने है। उसके लिए बहुत पढ़ाई करनी पढ़ ति है। अगर मैथ्स में जाना है तो अभी मुझे सोच ना पद गा। जब मै माँ और पापा से बात करती हूँ, वह बोलते है कि मुझे जो भी करना है वह मै कर सकती हूँ। लेकिन जब यह सब बातें बोल ते है, मुझे पता है कि दिल से नहीं बोल रहे हैं। माँ और पापा मेरे फीऊचार केलिए सोच रहे हैं। वह लोग बोल रहें है कि डाक्टर बनना और लोगों कि जान बचाना सबसे महान काम है। किसी कि ज़िंदगी देना कुछ अलग ही हैं। तो मैने सोच के देखा और लग रहा है कि मै डाक्टर ही बनूँ गी।

1 टिप्पणी:

Pankaj Oudhia ने कहा…

बढिया प्रयास है हिन्दी लिखने का। रही बात डाक्टर बनने की तो जरूर बनो। हम सब की शुभकामनाए आपके साथ है। वैसे पेड-पौधो का डाक़्टर बनाना भी ठीक है। हमे उन्हे भी तो बचाना है।