शनिवार, 15 सितंबर 2007

जिन्दगी से मेरा नया परिचय

मैंने इस वर्ष गर्मी की छुट्टियां कैलिफोर्निया के प्रदेश मे बिताईं। जैसे हि सर्दियों की कक्षाएं समाप्त हुई, मैं सैन होसे में स्थित सिस्को स्य्स्तेम्स नामक कंपनी के लिए रवाना हो गया। मेरे साथ वहाँ पर मिशिगन में पढ़नेवाले पांच और विद्यार्थी थे । वहाँ पहुचने पर अपने नए घर को देख कर में बिल्कुल दंग रह गया। मेरे कमरे से सैन होसे की पहाद्दियाँ और चंचल वातावरण को देखकर मैं फूला नहीं समाया। हमारा घर इतनी ऊंचाई पे था कि वहा से केवल सैन होसे हे नहीं बल्कि पड़ोसी शहर भी नज़र आते थे। ऐसा लगता था मानो जैसे हम आसमान में उड़ रहे हैं ! घर मे प्रवेश करते ही मुझे महसूस हो गया कि अगले तीन महीने मेरी जिन्दगी के बेहद यादगार पल बन जायेंगे।

सुबह तड़के जब मैं रसोई में अपने लिये चाय बनाता था तो मुझे सैन होसे से कोसों दूर अपनी माँ की बनाई चाय याद आ जाती थी। इस बात से यह साबित हो जाता है कि मनुष्य चाहे जितना भी तकनीकी विकास कर ले, परंतु घर का आंगन हमेशा प्रतम स्थान ही लेगा। यही हमारी संस्कृति है।

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