घर से चल चुके थे हम | मेरी प्रियतमा माई और मैं थे गाड़ी मे और हमारे आगे के सेक्ड़ो मील लंबी स्ड़क | ऐटलस मे अपने रस्ते को समझ लिया था हम ने | इन् चार दिनों के सफ़र में हम मिशिगन से निकल कर इल्लिनोई, विस्कोंसिन, मिनिसोटा, साऊथ डकोटा, वायोमिंग, मोंटाना, आईडहो और अन्त मैं वाशिंग्टन पहुंचना चाहते थे | इतने लंबे सफ़र मे मैंने सोचा की किसी का साथ होना ज़रूरी है | सुबहे को मैं गाड़ी चलाता और लंच खाने के बाद माई चलती और फिर शाम होने पर मैं चलाता | इस तारा हम मैं से किसी को कभी बहुत थकन नहीं महसूस हुई |
मेरे कुछ दोस्तों, जिन्होंने पहले बोयींग काम किया था , ने बताया कि रस्ते मैं बहुत से घूमने फिरने के जगह हैं | इन् मैं से येल्लो स्टोन नॅशनल पार्क, जो वायोमिंग मैं स्थित है और साऊथ डकोटा के माउंट र्श्मोर मेमोरियल पार्क अमेरिका मैं बहुत मशहूर हैं | इसके अलावा उन्होने यह भी बताया कि रास्ते मैं, खासकर मोंटाना और वायोमिंग में सेक्ड़ों मील तक कोई नही दिखता केवल खुली ज़मीन, आकाश और विशाल रोक्की पर्वत | इन सब के सोच मे मैं थोड़ा घबराया सा था | मुझे घूमने का नही परंतु सुरक्षित और समय पर सियाटल पहुँचने कि इच्छा थी |
मंगलवार, 18 सितंबर 2007
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें