रविवार, 16 सितंबर 2007

मेरी प्रिय ॠतु

भरात ॠतुओं क देश है। भरत में चार मुख्य ॠतुओं होती हैं – वर्षा ॠतु, वसन्त ॠतु, ग्रीष्म ॠतु और षरद ॠतु। मेरि प्रिय ॠतु वर्षा ॠतु है। ग्रीष्म ॠतु और षरद ॠतु के बीच में आने वाली यह ॠतु जून और अगस्त के मास में आती है। ॠतुओं की रानी से जाने वाली यह ॠतु पूरे देश पर मानो एक जादू सा कर देती है। सारे खेतों में फ़सल लहलाती है और चारों ओर हरा भरा हो जाता है।

वर्षा ॠतु ‘मोर’ का की ॠतु से भी जानी जाती है। मोरों को नाचते हुए देखना में मुझे सबसे ज्यादा आनन्द आता है। वर्षा ॠतु में स्कूल की भी छुट्टियों होतीं हैं। इसी कारण से में इस समय को अपने परीवार के साथ बीताने में लगाता हूं। जगह जगह पर पानी इकट्ठा हो जाता है और सब बच्चे पानी में कागज की नाव बना कर उसमें तैराते हैं। चारों ओर मैन्डक के टरटराते हुए सुनाइ देते हैं। इन दिनों में माँ के हाथों कें पके हुए स्वादिष्ट पकोडे खानें का मौका भी मिलता है। हम सब दिस्त मिलकर वर्षा में नहानें के लाभ भी उठते हैं।

वर्षा ॠतु में मुझे अपने सारे परिवार वालों से भी मिलने का अवसर मिलता है। मुझे वर्षा ॠतु बहुत पसंद है ।

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