भगत सिंह का जन्म सन् 1907 में पंजाब के लायलपुर नामक शहर में हुआ था। उनके पिता जी एक किसान थे। भगत सिंह बालपन से गांधी जी के भक्त थे। वह भारत के स्वतत्रता संग्राम में भाग लेना चाहते थे। जब गांधी जी ने नौन कुआपरेशन मूवमेंट रोक दिया, यह कहकर कि देश अभी आज़ादी के लिये तैयार नहीं है, तो भगत को एक गहरा सदमा पहुंचा और बालपन में ही उसने अपना दल बनाने की ठान ली । वह उस ही के बारे में कालेज में बात कर रहे थे, तभी उनके अध्यापक ने सुन लिया और उनको हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसियेशन में शामिल कर दिया। उसके बाद भगत सिंह ने अपनी वीरता से अंग्रेज़ों की नाक में दम कर दिया। वह अंग्रेज़ों के खिलाफ उन्ही के हथियारों का प्रयोग कर रहे थे: ‘भय और हिंसा’।
भगत सिंह का हिंसा का प्रयोग अंग्रेज़ों के मन में भय पैदा करने के लिये था। “बहरों को सुनाने के लिये धमाके की ज़रूरत”, वह इसमें विश्वास करते थे। उनका जोश और आज़ादी को पाने के जुनून ने अंग्रेज़ों को संकट में डाल दिया था। भगत सिंह की वीरता और निर्भयता का भारत को आज़ादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान था।
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