रविवार, 16 सितंबर 2007

उचित व्यवहार की सदुपियोगिता

आज के आधुनिक ज़माने में, लोग शायद उचित व्यवहार की सदुपयोगिता को भुला चुके हैं। आज के तीव्र गति से चलने वाले ज़माने में, एक आदमी उचित व्यवहार का प्रदर्शन तब ही करता है, जब उसको अपना लाभ नज़र आता है। परंतु लोग यह भूल जाते हैं कि उचित व्यवहार बुद्धिमानी का मुख्य लक्षण होता है। बुद्धिमान मनुष्य किसी का अपमान नहीं करता, कठोर शब्द नहीं कहता, तथा सफलता और यश प्राप्त करने पर, नम्रता धारण करता है। वह संकट के समय साहस और धैर्य से काम लेता है। बुद्धिमान मनुश्य अपनों से बड़ों का आदर करता है। उसके गुणों के कारण सभी उसकी प्रशंसा करते हैं, और वह सभी का प्रिय बन जाता है।

फूलों की सुगंध की तरह अच्छे गुणों की सुगंध चारों दिशाओं में फैलती है। क्षमा मांगने से अहंकार नष्ट होता है और क्षमा करने से बैर मिटता है, और सहनशीलता बढ़ती है। सहनशीलता से मनोबल तथा धैर्य बढ़ता है, और धैर्य का फल मीठा होता है।

बुद्धिमान पुरुष अपने मन और इंद्रियों को वश में रखना जानता है। वह जानता है कि क्रोध सभी गुणों का नाश करता है, अतः वह कभी क्रोध नहीं करता। वह ईश्वर की सत्ता पर विश्वास करता है। जिस ।व्यक्ति में ये सारे गुण होते हैं, वह अनुचित व्यवहार कर ही नहीं सकता और वह समाज के लिये मूल्यवान हो जाता है। इस प्रकार, सद्व्य्वहार की बहुत उपयोगिता होती है। इस कारण मनुष्य को सदैव सद्व्यव्हार का प्रयत्न करना चाहिये।

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