रविवार, 16 सितंबर 2007

मोहनदास करमचंद गांधी

मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से गांधी जी कहा जाता है, एक महान व्यक्ति थे। आज उन्ही के कारण भारत देश स्व्तन्त्र्ता का फल भोग रहा है। उनका जीवन एक आदर्श था। ऊन्होंने सारे संसार के सामने सत्य, अहिम्सा और एकता की शक्ती का प्रदर्शन किया।

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म दो अक्टूबर, 1869 में, ग़ुजरात राज्य, में , पोरबन्दर नामक नगरी में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद, तथा माता का नाम, पुत्लीबाई था। बालपन से ही गांधी जी का स्वभाव शीतल था। वे पितृभ्क्त थे और पिता की आग्या का पालन करना अपना परम कर्तव्य मानते थे। 18 साल की उमर पर, वे वकालत पढ़ने के लिये यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्डन भी गये, परन्तू वाहाँ भी उन्होंने अपनी संस्कृति और सभ्यता को नहीं भुलाया।

भारत को स्व्तन्त्र कराने में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान था। वे सत्य और अहिम्सा के पुजारी थे। स्व्त्नता संग्राम के समय, उन्होंने “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो” आन्दोलन प्रारंभ किया। इस आन्दोलन ने अंग्रेज़ी सरकार की नीद ही उड़ा दी। गान्धी जी के नेतृत्व में, 15 अगस्त, 1947 में भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्त की।

15 नव्मबर, 1949 के दिन पूरे भारत देश ने शोक प्रकट किया जब नाथूराम गोदसे नामक एक व्य्क्ति ने गान्धी जी कि, गोली मारकर हत्या कर दी। मरते समय भी उनके आखरी शब्द ‘हे राम’ थे।

गांधी जी का जीवन एक आदर्श था। उन्होंने न केवल भारत को स्व्तन्त्रता दिलाई, बल्कि पूरे देश को सत्य और अहिम्सा का मह्त्व समझया।

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