मंगलवार, 25 सितंबर 2007

एक सुहाना सफ़र ' भाग ३ '

शिकागो के गम्भीर ट्राफिक से निकल कर हम इल्लिनोई को काटते हुए पूरव की ओर विस्कोंसिन के तरफ बढ़े| इल्लिनोई के शिकागो की ट्राफिक ने परेशान कर दिया था और बाकी जिले के सड़कों ने | अनुभव हुआ कि हम हर १० मील पर टोल भर रहे थे परंतु सड़कें और खराब होते जाती | टोल बूथ तो काफी सुन्दर शीशे की बनीं थी, पर सरक उतनी ही खराब दिखाई देती | "कया करती है सरकार हमारे टोल की?" मैंने माई से कहा | खैर वहां से निकले और जान बची लाखों पाए|
विस्कोंसन पहुंच कर हम पच्छिम की ओर बढ़ने लगे | लक्रोस विस्कोंसों के पच्छिम बॉर्डर पर स्थित है | सात बज चुके थे अब तक और हमारे आगे और २ घंटों का सफ़र था कि माई को एक मोल दिखा और वहां २ मिनट रुकने के लिए उसने मुझे कहा | मुझे मालुम थे की उसके मोल के दो मिनट कम से कम एक घंटा खराब कर्देंगे | फिर बग़ैर बहस किये मैं हाई वे से उतर कर उसे वहां ले आया | उसे मोल मैं घूमने और ढ़ेर सारा शाप्पिंग करने का शोक था | मैंने पुरे दिन मैं पहली बार उसके मुह पर मुस्कान देखी | वहां से निकलने तक ८ बज गए थे , ठीक जैसा मैंने सोचा था, पर उसे खुश देख कर मुझे भी ख़ुशी मिलती | लक्रोस पहुँचते पहुँचते ९:३० बज गए और अँधेरा भी हो गया था | किस्मत आची थी की हमे वहां होटल आचे दाम मैं मिल गया | समन कमरे मैं रखकर हम आस पास किसी इटैलियन रेस्त्रैन्त मैं खाना खा लिया | हमारे सफ़र का पहला दिन सफल हुआ |

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