मंगलवार, 25 सितंबर 2007

दीपावली का त्योहार

दीपावली भारतवसियों के सर्व्श्रेष्ठ त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मर्यादा पुरुशोत्त्म श्री राम के लंका पर विजय प्राप्त कर, 14 वर्ष के वनवास को पूर्ण करने के बाद, उनके स्वागत स्वरूप मनाया जाता है। वस्तुतः यह त्योहार असत्य पर सत्य की विजय, तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। दीपवली का पर्व सम्पूर्ण भारत में हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व सुख और समृद्धि का भी प्रतीक है। लोग अपनी क्षमता के अनुसार अपने घर को सजाते हैं तथा अपनी खुशियाँ अपने सम्बधियों और मित्रों के साथ बाँटते हैं।

यह त्योहार शरद ॠतु के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग बुद्धि के देव श्री ग़णेश तथा समृद्धि की देवी श्री लक्ष्मी की पूजा करते हैं। गणेश विद्या और बुद्धि के देव हैं, इसलिये विद्यार्थी पूजा के समय, और पुस्तक पढ़कर अपनी बुद्धि के विकास की प्रर्थना करते हैं। घर के सभी लोग सुख समृद्धि के लिये, माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, घर को दीपों से सजाया जाता है। इस ही करण दीपावली दीपों का त्योहार कहलाती है। लोग सद्भावना से अपने सबन्धियों के घर जाकर मिठाइयाँ बाँटते हैं। हर गाँव और शहर दीपों से सज जाता है। दीपावली के अवसर पर पटाके भी फोड़े जाते हैं, और वातावरण, इन पटाकों से गूँज उठता है। यह त्योहार खुशियों का त्योहार है जो सबके मन को हर्ष से भर देता है।

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