मंगलवार, 25 सितंबर 2007

होली का त्योहार

भारत देश त्योहारों का देश है। यहाँ अलग, अलग धर्मों के लोग, अलग अलग त्योहार मनाते हैं। इन ही त्योहारों में से एक विषेश त्योहार होली का त्योहार होली होता है। यह त्योहार फ़ागुन के महीने में मनाया जाता है। यह पर्व बसंत ॠतु के आगमन का संदेश लाता है।

कहा जाता है कि जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत, प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ था। उसके पिता, असुर राज हिरण्यकश्यप का आदेश था, कि उसके राज्य में कोइ ईश्वर की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकश्यप की बहन, होलिका, जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गइ, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गइ। अगले दिन भग्वान विष्णु ने नर्सिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार दिया और सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस ही अवसर को याद कर होली मनाई जाती है।

होली सर्वप्रथम रंगों का त्योहार होता है। होली के अवसर पर, बच्चे और बड़े, सभी अपने मित्रों और प्रिय सम्बधियों को रंग और गुलाल लगाकर, उनके प्रति अपने स्नेह का प्रदर्शन करते है। यह त्योहार बच्चों को अत्यंत प्रिय होता है। इस त्योहार के दिन सारे बच्चे अपनी पिचकारियों में पानी और रंग भरकर, अपने मित्रों पर खेल में आक्रमण करते हैं। संध्या के समय लोग नए वस्त्र पहन कर, शत्रुता की सारी भावनाएँ भूल कर, एक दूसरे से प्रेम से मिलते हैं। यह त्योहार देश में हर्ष उल्लास और भाईचारे का मौसम ला देता है।

1 टिप्पणी:

Pramod Yadav ने कहा…

आपने गलत शब्द लिखा है.... त्यौहार होता है न कि त्योहार