राज कपूर ने अपनी अगली फिल्म सत्यं शिवं सुन्दरं बनाई जो कि फिर एक बार हिट हुई। इस फ़िल्म पर उन्होंने बहुत पैसा खर्च किया था। इस फ़िल्म के बाद उन्होंने राम तेरी गन्गा मैली और हिना फ़िल्में बनायी जो की दर्शकों को बहुत पसन्द आयी थी। जब वह हिना फ़िल्म बना रहे थे तब उनका देहान्त हो गया और उनकी फ़िल्म बेटे रन्धीर कपूर ने पूरी की।
राज कपूर चार्ली चापलिन से बहुत प्रभावित हुए थे और उनके अभिनय में इसका प्रभाव ज़रूर दिखता था। उनकी फ़िल्मों की एक खास बात थी कि वे ना सिर्फ़ भारत में कामयाब होती थी बल्कि चीन,रूस और अनेक आफ़्रीकन देशों में भी काफ़ी मशहूर थी। राज कपूर को सन्गीत की भी बहुत अच्छी समझ थी और आज तक उनकी फ़िल्मों के गाने लोकप्रिय हैं। सन 1987 में राज कपूर को दादा साहेब फ़ालके अवार्ड दिया गया।
राज कपूर का नाम प्रसिद्ध रखने के लिये उनके पूरे परिवार ने कोशिश की। उनके छोटे भाई शम्मी कपूर और शशी कपूर बहुत सारी फ़िल्मों में आये और बडे अभिनायक बन गये। उनके बेटे रन्धीर कपूर और रिशी कपूर भी बहुत बडे कलाकार थे और बहुत सारी फ़िल्मों में अभिनय किया। उनकी पोतियॉ करिश्मा कपूर और करीना कपूर नये ज़माने के सबसे बडे अभिनेत्री बने। थोडे ही दिनों में उनका पोता रण्बीर कपूर भी हिन्दी फ़िल्मों की दुनिया में अपना करियर शुरू करने वाला है।
-ॠषित दवे
बुधवार, 17 अक्तूबर 2007
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