मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना उसका रहना कठिन है। माता-पिता, भाई-बहन, आस-पड़ोस के लोगों को मिलाकर ही समाज की रचना होती है।समाज के बिना मानव का पूर्ण रूप से विकास होना असम्भव है।
समाज सेवा से अभिप्राय है कि जिस समाज में हम रहते हैं,खाते हैं ,पीते हैं व जीते हैं उन्ही लोगों की सेवा करना, उनकी मदद करना व उनका हित करना। तथा यह सब निस्स्वार्थ करना चाहिये । इससे पूरे राष्ट्र की व्यवस्था मे सुधार किया जा सकता है। समाज सेवा के द्वारा सरकार और जनता दोनों की आर्थिक सहायता की जा सकती है। पड़ोसियों की सेवा करना भी समाज सेवा ही है ।
हमारा देश कृषि प्रधान देश है। हमारे ग्रामों की उन्नति हमारे देश की उन्नति है। हर एक भारतीय का कर्तव्य है कि उनकी उन्नति में सहयोग दें।
विद्यार्थियों पर ही तो सारे देश का भविष्य निर्भर है, अतः समाज की सेवा करना हर विद्यार्थी का कर्तव्य है।
समाज सेवकों का कर्तव्य है कि सच्चे दिल से समाज की सेवा करें।सच्चे हृदय से की गयी समाज सेवा ही इस देश व इस पूरे संसार का कल्याण कर सकती है।
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