मंगलवार, 16 अक्तूबर 2007

आवश्यकता और अविष्कार

जबसे मनुष्य पृथ्वि पर है, वह आवश्यकता अनुसार नए-नए अविष्कार और खोज करता जा रहा है। भोजन की आवश्यकता के कारण, जानवरों को मारने के लिये हथियार, और भोजन पकाने के लिये अग्नि का अविष्कार हुआ। इस प्रकार आवश्यकता अनुसार मनुष्य अविष्कार और खोज करता चला गया।

मनुष्य भाषा, शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ा। जब समूह में रहने की आवश्यकता हुई तो समाज का जन्म हुआ। समाज में किस तरह रहा जाए, यह निर्धारित करने के लिये धर्म और न्याय का जन्म हुआ। समूह के बढ़ने से देश बने, और फिर कई देश बने। इस प्रकार विकास होता ही चला गया। आज जिस वैज्ञानिक युग में हम जीवन व्यतीत कर रहें हैं, वह इन अविष्कारों की ही देन है। मनुष्य बुद्धिमान प्रणि है। इस कारण, नये-नये विचार उसके मन में आते हैं और वह उन विचारों पर काम करने लग जाता है। इस ही प्रकार विकास होता है।

आज हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। सभी क्षेत्रों में लोग, आवश्यकता अनुसार अविष्कार करने में लगे हुए हैं। प्राचीन काल में लोग कैसे रहते थे, आज हम, इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। इस प्रकार आवश्यकताओं ने ही अविष्कारों को जन्म दिया है।

कोई टिप्पणी नहीं: