बुधवार, 17 अक्तूबर 2007

एक सुनेहरा सफ़र ' भाग ८ '

वाशिंग्टन के इन खुली ज़मिनो मे वो मज़ा नही था जो हमे आइडहो, मोंटाना और वैयोमिंग के पहड़ों के बिच मिल | मैप मे आगे का रास्ता देकते समय मालुम हुआ कि आगे दो घाटियाँ आने वाली है जिन्हे हमे पार करना पड़ेगा | ये घाटियाँ आईडहो के रोक्की पर्वतों के मुक़ाबले मैं छोटी ज़रुर थी | ऊपर पहुँचने पर निचे देखने के लिए गाड़ी रोक दी | इन घाटियों के बीच एक सुंदर सा झील दबा हुआ था जिसके बहुत से तस्वीर लिए हमने | उस जगह कई गाड़ियाँ रुकने लगी घटीं की सुन्देर्ता का आनंद लेने | शाम के चार बज रहे थे और वेह एक शण मैं तीन हो गये | यह इस लिए क्योंकि हम माऊन्टेन स्टैंडर्ड टाईम वाले भाग मैं घुस गये थे | यही वापस मिशिगन जाने पर एक घंटा पाने के वाजेह खोना पड़ेगा |
चलते चलते छे बज गये और ट्राफिक और आबादी बढने लगी | इससे हमे लगा कि हम पास ही है , और मैप के अनुसार भी | आई -९० कुछ ही मीलों मैं खतम होने वाला था और हमारा उसके साथ का चार दिनों का साथ भी | लेक वाशिंग्टन को पुल दुआर पार कर हम मेर्सेर टापू पर होते हुए उत्तर सियाटल पहुँच गये | सियाटल मे हमारा स्वागत तब ही हुआ जब हमने वहाँ का सबसे मशहूर स्पेस नीडल देखा | लोग कहता है कि सियाटल मैं स्पेस नीदल घूमे बग़ैर नही आना , वो सियाटल घुमा हुआ नही कहलाता है |

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