मंगलवार, 30 अक्तूबर 2007

मित्रता

मित्रता का हमारे जीवन का महत्त्व्पूर्ण हिस्सा होती है मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा और कृष्ण की मित्रता, सच्ची मित्रता का उदाहरण है।

मित्र की संगति का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है इस करण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही मित्रता करनी चाहिए। अच्छे मित्र के संगति में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की संगति में बुरा बनता है।
सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें ग़लत काम करने से रोकता है।

मित्रों में आपस में पारस्परीक सहयोग की भावना होनी चाहिए। मित्रता हमेशा बनी रहे, इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। जिस प्रकार पौधे को जीवित रखने के लिए, खाद और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता है।

सच्चे मित्र की पहचान मुसीबत में ही होती है अतः मित्रता अनमोल होती है और हमारे सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है इसीलिए हमारे ज़ीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

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